350 किलोमीटर तक मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण
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350 किलोमीटर तक मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण

भारत ने देश में निर्मित परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अपनी पृथ्वी-2 मिसाइल का  सेना के प्रयोग परीक्षण के तहत सफल प्रायोगिक परीक्षण किया जो 350 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है ।

350 किलोमीटर तक मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण

बालेश्वर (ओड़िशा): भारत ने देश में निर्मित परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अपनी पृथ्वी-2 मिसाइल का  सेना के प्रयोग परीक्षण के तहत सफल प्रायोगिक परीक्षण किया जो 350 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है ।

मिसाइल का परीक्षण चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-3 से एक मोबाइल लॉंचर के जरिए किया गया । एक रक्षा सूत्र ने कहा, ‘सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा जुटाया गया मिसाइल का परीक्षण ब्यौरा सकारात्मक परिणाम दर्शाता है ।’

सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम तक आयुध ले जाने में सक्षम है और यह तरल प्रणोदन वाले दोहरे इंजन से संचालित होती है । इसमें अपने लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए आधुनिक आंतरिक दिशा निर्देशक प्रणाली लगी होती है । एक रक्षा वैज्ञानिक ने कहा, ‘मिसाइल को प्रशिक्षण अभ्यास के लिए उत्पादन भंडार से उठाया गया और समूची प्रक्षेपण गतिविधियों को विशेष रूप से गठित एसएफसी ने अंजाम दिया तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी ।’ सूत्र ने कहा, ‘मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर डीआरडीओ के रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टीकल प्रणालियों और ओड़िशा के तट पर स्थित टेलीमेट्री स्टेशनों से नजर रखी गई ।’ बंगाल की खाड़ी में निर्दिष्ट प्रभाव बिन्दु के पास तैनात एक जहाज में सवार डाउनरेंज टीमों ने मिसाइल के निशाना साधने से संबंधित प्रक्रिया की निगरानी की ।

भारत के सशस्त्र बलों में 2003 में शामिल पृथ्वी-2 डीआरडीओ द्वारा देश के प्रतिष्ठत एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित की गई पहली मिसाइल है । उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण अभ्यास किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए भारत की सामरिक तैयारियों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं और देश के सामरिक जखीरे के इस रणनीतिक अस्त्र की विश्वसनीयता को भी स्थापित करते हैं । पृथ्वी-2 का पिछला सफल प्रायोगिक परीक्षण 19 फरवरी 2015 को ओड़िशा में इसी परीक्षण केंद्र से किया गया था ।

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