कैंसिल टिकट से भारतीय रेलवे ने की 73 करोड़ रुपये की कमाई
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कैंसिल टिकट से भारतीय रेलवे ने की 73 करोड़ रुपये की कमाई

चार्ट बनने के बाद प्रतीक्षा सूची में रह गए यात्रियों के टिकट रद्द हुए तो रेलवे को हर रोज लगभग 20 लाख रुपये की आमदनी भी हुई है.

रेलवे की हर साल बढ़ रही यात्री किराए से होने वाली आय (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: भारतीय रेल आम आदमी की सवारी है, लेकिन उसी आम आदमी से वेटिंग टिकट के जरिये भी कमाई करने में वह पीछे नहीं है. वेटिंग टिकट को कैंसिल करने पर कटने वाले चार्जेस से भारतीय रेलवे के खाते में बीते साल लगभग 73 करोड़ रुपये कमाए हैं. यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत सामने आई है. मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे से जानना चाहा था कि आखिर ऐसे कितने यात्री हैं, जो चार्ट बनने के बाद एक साल में वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म न होने पर यात्रा नहीं कर पाए और उससे रेलवे को कितनी राशि की आमदनी हुई.

  1. वेटिंग टिकट कैंसिलेशन से रेलवे की 75 करोड़ की कमाई
  2. 2016-17 में  21,348 यात्रियों ने वेटिंग टिकट करवाया कैंसिल
  3. रेलवे की हर साल बढ़ रही यात्री किराए से होने वाली आय

सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस) ने जो जानकारी मुहैया कराई है, वह इस बात का खुलासा करती है कि चार्ट बनने के बाद सभी श्रेणियों के वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म न होने पर रेलवे को खूब आमदनी हुई है. ब्योरे के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में चार्ट बनने पर प्रतीक्षा सूची में रहे 77,92,353 टिकट रद्द कराए गए, जिससे रेलवे को 72,38,89,617 रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई.

हर रोज 21,348 यात्रियों ने कैंसिल करवाया वेटिंग टिकट
ब्योरे के मुताबिक, वर्ष 2013-14 में 70,53,031 टिकट चार्ट बनने के बाद निरस्त हुए, जिससे 45,68,29284 रुपये राजस्व के तौर पर हासिल हुए. वहीं वर्ष 2014-15 में 79,62,783 टिकट रद्द हुए, जिससे रेलवे के खाते में 37,93,33,430 रुपये की आमदनी हुई, जबकि वर्ष 2015-16 में 80,72,343 यात्रियों ने टिकट रद्द कराए, जिससे रेलवे को 52,81,82,167 रुपये की राशि प्राप्त हुई.

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रेलवे की ओर से उपलब्ध कराए गए ब्योरे पर गौर करें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि बीते वर्ष 2016-17 में ही औसत तौर पर हर रोज 21,348 यात्रियों ने यात्रा कंफर्म न होने पर टिकट कैंसिल करवाया.

वहीं दूसरी ओर इसी वर्ष में चार्ट बनने के बाद प्रतीक्षा सूची में रह गए यात्रियों के टिकट रद्द हुए तो रेलवे को हर रोज लगभग 20 लाख रुपये की आमदनी भी हुई है. 

वापसी राशि में कटौती में बढ़ोतरी
रेलवे में सुधारों के दौर में टिकट वापसी पर राशि में की जाने वाली कटौती में भी बढ़ोत्तरी हुई है. 12 नवंबर, 2015 तक जहां स्लीपर क्लास के आरएसी, वेटिंग टिकट को 48 घंटे पहले रद्द कराने पर 30 रुपये कटते थे, वहीं अब 60 रुपये कटते हैं, इसी तरह कंफर्म टिकट पर 60 की बजाय 120 रुपये कटने लगे हैं.

इतना ही नहीं कंफर्म टिकट के गाड़ी आने के 48 घंटे से छह घंटे के बीच टिकट निरस्त कराने पर 25 प्रतिशत की राशि की कटौती होती थी, अब समय 48 से 12 घंटे के बीच ही यह सुविधा मिलती है. इसके अलावा गाड़ी के समय से छह घंटे पहले से और गाड़ी जाने के दो घंटे बाद तक टिकट निरस्त करने पर 50 प्रतिशत राशि वापस होती थी, अब गाड़ी आने के 12 से चार घंटे के बीच टिकट निरस्त कराने पर 50 प्रतिशत ही मिलती है. वहीं चार घंटे से कम का समय होने पर कोई राशि नहीं लौटाई जाती.

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क्रिस के ब्यौरे के मुताबिक देखें तो रेलवे की यात्री किराए से होने वाली आय साल दर साल बढ़ रही है. वर्ष 2012-13 में जहां 31322.84 करोड़ थी जो वर्ष 2013-14 में 36532.25 करोड़, वर्ष 2014-15 में 42189.61 करोड़, वर्ष 2015-16 में 44283.26 करोड़ और वर्ष 2016-17 में बढ़कर 46280.45 करोड़ रुपये हो गई.

सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ का कहना है कि सरकार को नबंवर, 2015 में किए बदलाव की जनहित में समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही जिन भी यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्ट में रह जाते हैं, उनकी पूरी राशि वापस करना चाहिए. ऐसा इसलिए कि उन यात्रियों की तो कोई गलती होती नहीं है, वे तो यात्रा करना चाहते हैं, मगर रेलवे ही उन्हें जगह नहीं देता.

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