नेपाली मीडिया के जरिये भारत के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय साजिश का बड़ा खुलासा
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नेपाली मीडिया के जरिये भारत के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय साजिश का बड़ा खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के कुछ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को पिछले कुछ महीनों में  विदेश से लाखों रुपये की फंडिंग की गई है.

कुछ समय पहले काठमांडू में आयोजित चौथे बिम्‍सटेक सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से हुई.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: भारत और नेपाल के संबंध काफी पुराने हैं लेकिन अब इन संबंधों में खटास डालने के लिए दुनिया के कुछ देश लगातार साजिश रच रहे हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली मीडिया के जरिये आम नेपाली लोगों को भारत के खिलाफ नफरत फैलाने  की एक बड़ी साजिश रची जा रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के कुछ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को पिछले कुछ महीनों में  विदेश से लाखों रुपये की फंडिंग की गई है. इन मीडिया संस्थानों से कहा गया है की वो यूट्यूब और काठमांडू के केबल नेटवर्क के जरिये भारत के खिलाफ खबरें दिखाएं जिससे आम नेपालियों को भारत के खिलाफ तैयार किया जा सके.

यही नहीं इन मीडिया संस्थानों से ये भी कहा गया है की वो चीन के पक्ष में पॉजिटिव न्यूज़ बनाएं. ज़ी न्यूज़ के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक आम नेपालियों के मन में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए नेपाली मीडिया की 5 टीमें बनाई गई हैं. टीम को हर महीने 2 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की विदेशी फंडिंग की जा रही है.

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इन मीडिया संस्थानों से कहा गया है कि वो नेपाल और चीन के बारे में अच्छी खबरें दिखाएं  जिससे भारत के बजाय नेपाल और चीन के संबंध को ज्यादा मजबूत किया जा सके.

भारत के खिलाफ एंटी इंडिया मैटेरियल्स तैयार कर इनको प्रसारित करने के लिए काठमांडू और कावरे जिले के केबल ऑपरेटर की मदद ली जा रही है. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इन केबल ऑपरेटर्स को हर महीने 7 लाख रुपये की फंडिंग की जा रही है. इसके साथ ही नेपाली अखबारों में भारत के खिलाफ लेख लिखने के लिए हर महीने 2 लाख रुपये की फंडिंग की भी जानकारी सामने आई है.

इस संबंध में खुफिया एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, "भारत और नेपाल के संबंध काफी गहरे हैं और उसमें जहर घोलने की साजिश काफी दिनों से की जा रही है. हम ये पता करने में लगे हुए हैं कि पिछले कुछ महीनों में अब तक कितनी फंडिंग हुई है." देखा जाये तो चीन, नेपाल में सड़क से लेकर रेल के नेटवर्क को फैलाने में लगा हुआ है, चीन की कई बड़ी कंपनियां नेपाल में निवेश करने में लगी हुई हैं.  

भारत और नेपाल
पिछले कुछ सालों में नेपाल में आंतरिक उठापटक की वजह से दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट दिखी. नेपाल, भारत पर वह पहले भी कई बार आरोप लगा चुका है कि वो उनके देश के आंतरिक मामलों में दखल देता है. मधेशी समुदाय मुद्दे पर भी भारत और नेपाल की सीमा पर होने वाले परिवहन पर भी इसका बुरा असर पड़ा था और नेपाल ने इसे भारत की तरफ से आर्थिक नाकेबंदी करार दिया था, हालांकि भारत ने इन आरोपों का खंडन किया था. नेपाल और भारत के इसी चढ़ते और उतरते संबंधों का फायदा उठाने की कोशिशों में चीन और पाकिस्तान जैसे देश लगे हुए हैं.

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