पोर्न बैन पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 'हम किसी के बेडरूम में नहीं झांक सकते'
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पोर्न बैन पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 'हम किसी के बेडरूम में नहीं झांक सकते'

देश में पोर्न पर बैन को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पोर्न पर बैन संभव नहीं है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि जब प्रधानमंत्री देश में डिजिटलाइजेन की बात कर रहे हैं तो ऐसे में पोर्न पर बैन लगाना संभव नहीं है। सरकार ने माना कि चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी को छोड़कर देश में पोर्न पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।

पोर्न बैन पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 'हम किसी के बेडरूम में नहीं झांक सकते'

नई दिल्ली : अश्लील सामग्री उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट्स अवरूद्ध करने के कारण आलोचना का शिकार हुयी राजग सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह ‘अधिनायकवादी’व्यवस्था की अवधारणा में नहीं बल्कि एक अरब से अधिक नागरिकों को जोड़ने वाली ‘डिजिटल इंडिया’ सरीखे अभियान में यकीन करती है।

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से कहा कि उसने बच्चों की अश्लील सामग्री उपलब्ध कराने वाली अश्लील साइटों को अवरूद्ध कर दिया है और समूची दुनिया में यही मानक स्वीकार किया गया है।

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘बाल अश्लील सामग्री पर प्रतिबंध लगाना ही होगा। इस बारे में किसी प्रकार का संदेह नहीं है। परंतु यह मुश्किल है क्योंकि भौगोलिक सीमायें अब निरर्थक हो गयी हैं। आप ऐसी दस वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाइये तो पांच नयी सामने आ जायेंगी।’ उन्होंने अश्लील साइटों पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित विषय को ‘संदेहास्पद क्षेत्र’बताते हुये कहा कि इसमें बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का सवाल भी निहित है और इसलिए इस पर जनता में बहस की आवश्यकता है।

रोहतगी ने कहा, ‘शासन नैतिकता का ठेकेदार नहीं बन सकता। हम भीतर नहीं झांक सकते। समूचे विषय पर व्यापक मंथन की जरूरत है। प्रत्येक कंप्यूटर और मोबाइल में ‘चाइल्ड लॉक’ होता है। स्रोत स्तर पर ही ऐसी चीजों को रोकना मुश्किल है। हम ‘डिजिटल भारत’ की ओर बढ़ रहे हैं और प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को अपने संबोधन के बारे में जनता से सुझाव मांगे हैं।’

एक वकील द्वारा यह कहे जाने पर कि सरकार ने न्यायलाय के आदेश पर अश्लील साइटों पर प्रतिबंध लगा दिया है, न्यायालय ने कहा, ‘हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है।’इस बीच, केन्द्र सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से कहा है कि वे प्राधिकारियों के साथ बैठकर अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के दूरसंचार विभाग के आदेश से संबंधित मसले को सुलझायें।

न्यायालय ने इस पर सुनवाई स्थगित कर दी। इससे पहले, सरकार ने न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि अश्लील वेबसाइटों, विशेषकर बच्चों से संबंधित अश्लील साइट, अवरूद्ध करने के लिये सभी संभव उपाय किये जायेंगे। हालांकि न्यायालय की टिप्पणियों के आलोक में जब सरकार ने अश्लील वेबसाइट अवरूद्ध करने की दिशा में कार्रवाई शुरू की तो उसकी तीखी आलोचना की गयी।

न्यायालय ने कहा था, ‘आपने इन वेबसाइटों को अवरूद्ध नहीं किया। याचिकाकर्ता इतना कुछ कह रहे हैं।’इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दूरसंचार विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था कि क्या सरकार इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को अश्लील वेबसाइट, विशेषकर बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री उपलब्ध कराने वाली साइटों, को अवरूद्ध करने का निर्देश देने के लिये सक्षम है।

सेवा प्रदाताओं ने कहा था कि वे अपने आप ऐसी साइटों को अवरूद्ध नहीं कर सकते और वे सरकार के निर्देश पर ही ऐसा कर सकते हैं। न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि हालांकि अश्लील वीडिया देखना अपराध नहीं है लेकिन अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों का एक यह बहुत बड़ा कारण हैं।

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