नई अर्थव्यवस्था पहले से कही ज्यादा पारदर्शी होगी और इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. सिन्हा ने लिखा कि जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का फैसला गलत नहीं है.
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नई दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा (yashwant sinha) ने बुधवार को अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया था. इसके अगले दिन ही मोदी सरकार के बचाव में यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा (Jayant Sinha) सामने आ गए हैं. जयंत सिन्हा ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित अपने लेख में लिखा है कि हम एक नई मजबूत अर्थव्यवस्था बना रहे हैं. नई अर्थव्यवस्था न्यू इंडिया के लिए हैं और इसका फायदा आने वाले समय में दिखाई देगा. जयंत सिन्हा ने अखबार में प्रकाशित अपने लेख में लिखा कि एक या दो तिमाही के आंकड़ो को न देखते हुए हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक सुधार हो रहा है, यह बदलाव लंबे समय के लिए हमारे लिए फायदेमंद होगा. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर कई तरह के लेख लिखे गए हैं. केंद्र सरकार फिलहाल अर्थव्यवस्था में जो भी बदलाव कर रही है वह न्यू इंडिया की जरूरत है.
नई अर्थव्यवस्था पहले से कही ज्यादा पारदर्शी होगी और इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. सिन्हा ने लिखा कि जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का फैसला गलत नहीं है. यह एक बदलाव की कोशिश हैं. जिसका असर आने वाले समय में देशवासियों के सामने होगा. हर मंत्रालय नई तरह की पॉलिसी बना रहा है अब कोयला की नीलामी भी सही तरीके से हो रही है.
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आपको बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने बुधवार को एक अंग्रेजी अखबर में लिखे अपने लेख में अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार पर केंद्र सरकार को घेरा था. उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी में कई लोग यह जानते हैं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो रही है लेकिन डर के मारे वह बोल नहीं पा रहे हैं.
'I need to speak up now' शीर्षक से प्रकाशित अपने लेख में सख्त लहजे में अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए नोटबंदी और जीएसटी के निर्णयों को जिम्मेदार ठहराया था. यशवंत सिन्हा ने लिखा था कि नोटबंदी के चलते अर्थव्यवस्था पर बेहद विपरीत असर पड़ा है और वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन खराब तरीके से किया गया.
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उन्होंने जीडीपी के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए थे. पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जीडीपी में गिरावट के लिए 'तकनीकी' कारणों को जिम्मेदार ठहराया था. इस पर भी उन्होंने निशाना साधा था. साथ ही कहा कि था कि बीजेपी ने आर्थिक वृद्धि की गणना के तरीकों को बदल दिया है वर्ना जीडीपी के ताजा आंकड़े पहले की तुलना में कहीं कम होते.
पूर्व वित्त मंत्री ने आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के छापों को लोगों के दिमाग में भय उत्पन्न करने वाला गेम बताया. इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि जब बीजेपी विपक्ष में थी तो वह इस तरह की कार्रवाइयों का विरोध करती थी लेकिन अब ऐसा नियमित रूप से हो रहा है.
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अपने लेख के अंत में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री कहते हैं कि उन्होंने बेहद करीब से गरीबी देखी है. ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री भी ओवरटाइम काम कर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी भारतीयों को भी बेहद करीब से इस तरह का अनुभव होना चाहिए.''