कपिल सिब्बल ने कहा था कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के 2014 के घोषणापत्र में है. इसलिए इस मुद्दों को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है.
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नई दिल्ली : 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई को भले ही अगले साल 8 फरवरी तक के लिए टाल दिया हो, लेकिन सुन्नी बोर्ड के तरफ से कपिल सिब्बल द्वारा कोर्ट में दी गई दलील पर खूब राजनीति हो रही है. कोर्ट ने भले ही सिब्बल की दलील को मानने से इनकार कर दिया, मगर राजनीतिक गलियारों में इस दलील को खूब उछाला जा रहा है. बता दें कि मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मांग की कि राम मंदिर पर सुनवाई को जुलाई, 2019 तक टाल दिया जाए, क्योंकि यह मामला राजनीतिक है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के 2014 के घोषणापत्र में है. इसलिए इस मुद्दों को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. 2019 में केंद्र के पांच साल पूरे हो जाएंगे. इसलिए उस समय मामले की सुनवाई पर देश के माहौल का कोई असर नहीं होगा और निष्पक्ष सुनवाई होगी.
कपिल की दलील के राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कपिल सिब्बल की दलील का विरोध किया है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक चुनावी रैली में इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया कि आखिर कपिल सिब्बल किस आधार पर कह सकते हैं कि 2019 में अगले लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई हो.
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उधर, बोर्ड के हाजी महबूब ने कहा कि कपिल सिब्बल हमारे वकील होने के साथ-साथ एक राजनीतिज्ञ भी हैं. उन्होंने कोर्ट में जो दलील दी है वह सरासर गलत है. सुन्नी बोर्ड इस समस्या का जल्द समाधान चाहता है.
Yes Kapil Sibal is our lawyer but he is also related to a political party, his statement in SC yesterday was wrong, we want a solution to the issue at the earliest: Haji Mehboob,Sunni Waqf Board #Ayodhya pic.twitter.com/CMN8MXr5ta
— ANI (@ANI) 6 दिसंबर 2017
भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक वकील के तौर पर कपिल सिब्बल कोर्ट में कुछ भी दलील रख सकते हैं, लेकिन वह यह ना भूलें कि वे कानून मंत्री भी रहे हैं. उनकी यह दलील किसी भी तर्क पर खरी नहीं उतरती है.
As a lawyer #KapilSibal can argue any matter but he should not forget that he has been the law minister in the past. What does he mean, when he says don't hear the matter till 2019 as it will have an impact outside? It is unfair and in many ways irresponsible: RS Prasad #Ayodhya pic.twitter.com/KfDBz8fRxI
— ANI (@ANI) 6 दिसंबर 2017
बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने इस मामले में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले को दीवानी अपीलों से इतर कोई अन्य शक्ल लेने की अनुमति नहीं देगा और हाई कोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया ही अपनायेगा.