कर्ण सिंह ने भारत-पाकिस्तान के ‘युद्ध जैसी भाषा बोलने’ पर चिंता जतायी
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कर्ण सिंह ने भारत-पाकिस्तान के ‘युद्ध जैसी भाषा बोलने’ पर चिंता जतायी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने भारत और पाकिस्तान में शीर्ष असैन्य एवं सैन्य अधिकारियों के ‘युद्ध जैसी भाषा’ बोलने को लेकर चिंता जतायी और उन्होंने जम्मू कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर दोनों देशों के बीच वार्ता की वकालत की।

नई दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने भारत और पाकिस्तान में शीर्ष असैन्य एवं सैन्य अधिकारियों के ‘युद्ध जैसी भाषा’ बोलने को लेकर चिंता जतायी और उन्होंने जम्मू कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर दोनों देशों के बीच वार्ता की वकालत की।

सिंह ने कहा कि कोई भी लड़ाई, चाहे वह छोटी ही क्यों न हो, का भयावह परिणाम होगा और आश्चर्य जताया कि क्यों भारत पाकिस्तान के साथ जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा को लेकर हमेशा बचाव की मुद्रा में होता है।

उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘पिछले कुछ दिनों से दोनों पक्षों की ओर से युद्ध जैसी स्थिति की भाषा ने खतरनाक मोड़ ले लिया है। पाकिस्तान परमाणु प्रतिरोध का ढिंढोरा पीट रहा है तो हमारी तरफ से सेना प्रमुख जैसे शीर्ष व्यक्ति ने छोटी लड़ाई की चर्चा की है। ’ उन्होंने कहा, ‘एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने 1947 से लेकर सभी भारत पाकिस्तान लड़ाइयों का गवाह रहा है, मुझे अवश्य ही चेतावनी की स्वर सामने रखना चाहिए।’ सिंह के पिता महाराजा हरि सिंह अक्तूबर, 1947 में विलय संधि पर हस्ताक्षर कर भारत में विलय पर सहमत हुए थे।

सिंह ने कहा, ‘जहां तक मेरी राय है तो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा पूरी सुरक्षित रखते हुए मुझे नहीं लगता कि हमें जम्मू कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत नही करनी चाहिए ।’ उन्होंने कहा, ‘उनका मेरे पिता के पूर्व राज्य के आधे हिस्से पर अनुचित कब्जा है और मुझे समझ नहीं आता कि क्यों हम इस मुद्दे पर चर्चा करने में हमेशा बचाव की मुद्रा में होते हैं। लेकिन ऐसा होने के लिए, नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा की गरिमा पुनस्र्थापित एवं शांति बहाल करने की जरूरत है।’

 

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