कुलदीप सिंह सेंगर को क्लीन चिट तो मिल गई लेकिन बीजेपी के लिए वह परेशानी का सबब जरूर बन गए हैं.
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उन्नाव में बांगरमऊ से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर(51) को गैंगरेप के एक मामले में फजीहत का सामना करना पड़ा है. पुलिस ने इस मामले में हालांकि उनको क्लीन चिट दे दी है लेकिन उनके भाई अतुल सेंगर को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया है. यूपी गृह विभाग के मुताबिक, मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत दर्ज हुए बयान में पीड़िता ने बीजेपी विधायक सेंगर का नाम नहीं लिया था. एफआईआर में भी उनका नाम नहीं था. लिहाजा कुलदीप सिंह सेंगर को क्लीन चिट तो मिल गई लेकिन बीजेपी के लिए वह परेशानी का सबब जरूर बन गए.
ऐसा इसलिए क्योंकि सत्ता में आते ही एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन कर बहन-बेटियों की सुरक्षा का वादा करने वाली बीजेपी की इस मामले के कारण किरकिरी हुई है. योगी सरकार के एक साल सत्ता में होने के बाद यह संभवतया पहला मौका है जब बीजेपी विधायक पर ही रेप का आरोप लगा है. सपा नेता अखिलेश यादव ने इस कारण सीएम योगी से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने को कहा है. कुल मिलाकर कुलदीप सिंह सेंगर इस वक्त यूपी की सियासत में विवादों के केंद्र में हैं.
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जीतने की कला में माहिर
ब्राह्मणों के दबदबे वाले उन्नाव जिले में कुलदीप सिंह सेंगर प्रमुख ठाकुर नेता हैं. कुलदीप सिंह कई दलों में रहने के बाद बीजेपी में पहुंचे हैं. सबसे पहले 2002 में बसपा के टिकट पर उन्नाव सदर से पहली बार चुनाव जीते थे. 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलते हुए सपा में शामिल हुए. उस साल बांगरमऊ से सपा के टिकट पर चुनाव जीते. 2012 के चुनावों में सपा के टिकट पर ही भगवंत नगर क्षेत्र से विधायक बने.
उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान पाला बदलकर बीजेपी के साथ आ गए. यहां उनकी सीट फिर बदल दी गई और उनसे बांगरमऊ से लड़ने को कहा गया. दरअसल विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को पहले ही बीजेपी ने भगवंत नगर सीट के लिए टिकट दे दिया था, लिहाजा कुलदीप सेंगर को बांगरमऊ से लड़ाया गया और वह जीते. इस तरह वह लगातार चार बार से विधायक हैं और कभी नहीं हारे. यह भी कहा जाता है कि वह निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या के करीबी हैं.
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कुलदीप सिंह सेंगर जब सपा में थे तो उस दौरान उनकी पत्नी संगीता जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं. कुलदीप के एक अन्य भाई मनोज ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं. कुलदीप पेशे से किसान हैं और उनका ज्वैलरी बिजनेस भी है.
जातिगत समीकरण
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ठाकुरों, मुस्लिमों और कुछ अन्य सवर्ण जातियों के वोटों की वजह से कुलदीप हर बार चुनाव जीत जाते हैं. वह पूरे उन्नाव में ठाकुरों के सबसे प्रभावी नेता हैं. उन्नाव के हर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा ब्राह्मणों का 20-22 फीसद वोट है. उसके बाद मुस्लिमों और फिर ठाकुरों का है. ब्राह्मणों का वोट विभाजित हो जाता है लेकिन मुस्लिमों और ठाकुरों के समर्थन के कारण कुलदीप चुनाव जीत जाते हैं.