संसद में गतिरोध बरकरार; बीमा, जीएसटी बिल को लेकर अध्‍यादेश का रास्‍ता अपना सकती है सरकार!
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संसद में गतिरोध बरकरार; बीमा, जीएसटी बिल को लेकर अध्‍यादेश का रास्‍ता अपना सकती है सरकार!

जबरन धर्मांतरण मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब की मांग और अन्‍य मसलों पर विपक्षी सदस्यों के अड़े रहने की वजह से संसद में गतिरोध अब भी बरकरार है। सूत्रों के अनुसार, इंश्योरेंस बिल को लेकर ऐसी खबर आ रही है कि अगर बिल संसद में पास नहीं हुआ तो सरकार अध्यादेश लाने का रास्‍ता अपना सकती है। वहीं, जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लेकर भी अध्‍यादेश लाया जा सकता है।

संसद में गतिरोध बरकरार; बीमा, जीएसटी बिल को लेकर अध्‍यादेश का रास्‍ता अपना सकती है सरकार!

नई दिल्‍ली : जबरन धर्मांतरण मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब की मांग और अन्‍य मसलों पर विपक्षी सदस्यों के अड़े रहने की वजह से संसद में गतिरोध अब भी बरकरार है। सूत्रों के अनुसार, इंश्योरेंस बिल को लेकर ऐसी खबर आ रही है कि अगर बिल संसद में पास नहीं हुआ तो सरकार अध्यादेश लाने का रास्‍ता अपना सकती है। वहीं, जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को लेकर भी अध्‍यादेश लाया जा सकता है।

संसद में चल रहे मौजूदा सत्र में यदि बीमा विधेयक पारित नहीं हो पाता है तो सरकार इसे पारित करवाने के लिए अध्यादेश लाएगी। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस बात पर सेलेक्ट कमिटी भी सहमत हो गयी है। सरकार ने कहा है कि अब मौजूदा सत्र में केवल 3-4 दिन बचा हुआ है। 23 दिसंबर को इस सत्र का समापन हो जाएगा और मौजूदा स्थिति में संसद में हो रहे हो हंगामे को देखते हुए यदि इस बिल को पारित कराना संभव नहीं हुआ तो हम अध्यादेश लाएंगे। इसको देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि सरकार बीमा विधेयक को लेकर कृत संकल्प है। सरकार का कहना है कि कोई भी बाधा हो बीमा विधेयक को पारित किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक मोदी सरकार के छह महीने के कार्यकाल में कोई ऐसी बड़ी उपलब्धि नहीं है जिसे वह दुनिया के सामने पेश कर सके। जीएसटी और बीमा विधेयक को पारित कर सरकार यह दिखाना चाहती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था देशी के साथ-साथ विदेशी पूंजी निवेश के लिए भी तैयार है।  

उधर, उच्च सदन की कार्यसूची में सूचीबद्ध बीमा विधेयक के बारे मे पूछे जाने पर नायडू ने विश्वास जताया था कि अन्य सुधारात्मक विधेयकों के साथ उक्त विधेयक भी पारित हो जाएगा।

गौर हो कि धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब की मांग पर विपक्षी सदस्यों के अड़े रहने की वजह से राज्यसभा में गुरुवार को लगातार चौथे दिन कामकाज ठप रहा तथा सदन में मोदी की मौजूदगी के बावजूद गतिरोध खत्म नहीं हुआ। सरकार की ओर कहा गया कि वह चर्चा के लिए तैयार है लेकिन इसका जवाब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ही देंगे। विपक्ष द्वारा अपनी मांग पर अड़े रहने के कारण हुए सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में प्रश्नकाल के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मौदी मौजूद थे और एक समय ऐसी स्थिति बनती दिखी कि इस मुद्दे पर गतिरोध टूट जायेगा। लेकिन चर्चा से पहले विपक्ष ने सरकार से यह आश्वासन दिये जाने की मांग की कि चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री देंगे, जिसपर सहमति नहीं बन पाई।

विपक्षी सदस्यों की मांग पर सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तत्काल तैयार है लेकिन विपक्ष यह कैसे तय कर सकता है कि चर्चा किस तरह से होगी और चर्चा का जवाब कौन देगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस ओर संकेत करते हुए कहा सदन में भोजनावकाश के पहले धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा के लिए सहमति लगभग बन गई थी। चूंकि यह मुद्दा गृह मंत्रालय से जुड़ा है इसलिए चर्चा का जवाब देने के लिए मैं ही जिम्मेदार हूं। उन्होंने कहा भोजनावकाश से पहले प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे। उस समय इस बात की संभावना थी कि प्रधानमंत्री चर्चा में हस्तक्षेप करते। लेकिन प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सम्मानित विपक्ष के सदस्यों ने इस विषय पर चर्चा नहीं होने दी।

कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि राज्यसभा में जो गतिरोध चल रहा है वह सरकार की हठधर्मिता के कारण है। सरकार अहंकार दिखा रही है। यदि प्रधानमंत्री सदन में आकर जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर चर्चा को सुनें और अपनी बात कहें तो मौजूदा गतिरोध समाप्त हो सकता है। जेटली ने विपक्ष के गतिरोध की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह सरकार का अहंकार नहीं बल्कि संख्याबल का अहंकार है। राज्यसभा में सत्ता पक्ष अल्पमत में है। इस पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि लोकसभा में बहुमत की तानाशाही है। तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस सदन में आकर बयान देना चाहिए और उसके बाद कामकाज सामन्य ढंग से चलने लगेगा।

जदयू के शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री इस मामले को प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बनाये हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई का आश्वासन देना चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री के जवाब की मांग करते हुए कहा इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण को लेकर देश में गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा देश में शांति है लेकिन कुछ लोग यह मुद्दा उठा कर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उन्हें (राज्य को) कार्रवाई करनी चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले चार दिन से सदन की कार्यवाही प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर विपक्ष के अड़ने के कारण उत्पन्न गतिरोध के चलते बाधित रही थी।

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