पीएम नरेंद्र मोदी बोले- बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपे माता-पिता
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पीएम नरेंद्र मोदी बोले- बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपे माता-पिता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शिक्षक दिवस से एक दिन पूर्व देश भर के बच्चों और टीचरों को संबोधित किया। बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने को गलत बताते हुए मोदी ने कहा कि मां-बाप को अपने सपने अपने बच्चों पर नहीं थोपने चाहिए, इससे बच्चों को सफलता नहीं मिलती। बच्चों और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये देश के विभन्न क्षेत्रों के बच्चों से रूबरू होते हुए मोदी ने नेतृत्व क्षमता, अच्छे वक्ता बनने, देश की सेवा समेत विविध विषयों पर खुलकर बातचीत की।

पीएम नरेंद्र मोदी बोले- बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपे माता-पिता

नई दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शिक्षक दिवस से एक दिन पूर्व देश भर के बच्चों और टीचरों को संबोधित किया। गौर हो कि हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शनिवार को जनमाष्‍टमी की छुट्टी की वजह से शिक्षक दिवस का कार्यक्रम आज मनाया गया।

दिल्‍ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में बच्‍चों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक की पहचान विद्यार्थी से होता है। बच्‍चों को बनाने में मां और शिक्षक का योगदान होता है। उन्‍होंने कहा कि मां जन्‍म देती है और गुरु जीवन देता है। आज का ये वक्‍त शिक्षकों को स्‍मरण करने का है।शिक्षक की सिखाई बात जीवनभर याद रहती है। शिक्षक और विद्यार्थी के बीच अपनत्‍व होना चाहिए। शिक्षकों को विद्यार्थियों के जीवन पर लिखना चाहिए। विद्यार्थी सबसे अधिक समय शिक्षक के साथ बिताता है, शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता है। शिक्षक बच्‍चों में संस्‍कार गढ़ता है, कुम्‍हार की तरह शिक्षक भी बच्‍चों का जीवन संवारता है। सफल आदमी के पीछे शिक्षक का योगदान अधिक होता है। देश को बनाने वाले के पीछे शिक्षक होता है।  

बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने को गलत बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मां-बाप को अपने सपने अपने बच्चों पर नहीं थोपने चाहिए, इससे बच्चों को सफलता नहीं मिलती। दिल्ली छावनी स्थित मानिक शॉ आडिटोरियम में उपस्थित बच्चों और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये देश के विभन्न क्षेत्रों के बच्चों से रूबरू होते हुए मोदी ने नेतृत्व क्षमता, अच्छे वक्ता बनने, देश की सेवा समेत विविध विषयों पर खुलकर बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि माता पिता का एक स्वभाव होता है कि जो काम वे खुद नहीं कर पाते, वे अपने बच्चों के माध्यम से कराना चाहते हैं। यह ठीक नहीं है। और यही सबसे बड़ी कठिनाई है। मां बाप को अपने सपने अपने बच्चों पर नहीं थोपने चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप अपने बच्चों को नहीं जानते, उनकी क्षमताओं को नहीं जानते। थोप देने से बच्चों को सफलता नहीं मिलती।

अच्छे शिक्षकों की कमी के बारे में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि आज भी देश में अच्छे शिक्षक हैं और यह आज के बच्चों को देखकर उन्हें महसूस हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता। शिक्षक का पेशा अन्य व्यवसाय से अलग है। हमें रोबोट नहीं बनना चाहिए बल्कि संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार लोग आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि शिक्षक दिवस पर बच्चों के साथ समय क्यों खर्च किया जाए। ऐसा इसलिए कि विद्यार्थी, शिक्षकों की पहचान होते हैं। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र किया और कहा कि राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद वे बच्चों को पढ़ाने लगे और जीवन की अंतिम सांस तक उन्होंने विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि स्कूल से सभी को चरित्र प्रमाणपत्र मिलता है। मैंने कहा है कि चरित्र प्रमाणपत्र के बजाय ‘अर्भिरुचि प्रमाणपत्र’ दिया जाए। प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि अपने अपने करियर में बहुत अच्छा काम करने वाले लोगों को हर सप्ताह कम से कम एक घंटे या एक साल में 100 घंटे का समय छात्रों को पढ़ाने में लगाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सफलता का कोई नुस्खा नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए। हमें ठान लेना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। जो ठान लेता है, उसे कभी न कभी सफलता मिलती ही है। कठिनाई यह है कि एक विफलता आने से लोग रूक जाते हैं। विफलता को कभी भी सपनों का कब्रिस्तान नहीं बनने देना चाहिए और प्रयास जारी रखना चाहिए। मोदी ने कहा कि शिक्षक का हमारे जीवन में काफी महत्व होता है। शिक्षक के जीवन में विद्यार्थी का भी महत्व होता है। जब तक आपसी समझदारी विकसित नहीं होगी ,तब तक एक दूरी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को भी अपने जीवनकाल में यादगार छात्र के बारे में लिखना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डा. राधाकृष्णन ने जीवन के सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने के बावजूद भी अपने भीतर के शिक्षक को अमर बनाये रखा, उसे कभी मरने नहीं दिया। शिक्षक कभी उम्र में बंधा नहीं होता। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आंगनवाड़ी में काम करने वाली एक महिला के कार्यो का जिक्र भी किया। प्रधानमंत्री ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कला उत्सव पहल के जरिये बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे विषयों को नाटक एवं कला के माध्यम से आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।

इससे पहले, इस मौके पर पीएम मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति एवं शिक्षाविद, अध्यापक एवं दार्शनिक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में 125 रुपये का स्मारक सिक्का और 10 रुपये का परिचालन में रहने वाला सिक्का भी जारी किया। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी इस परिसंवाद कार्यक्रम में मौजूद थीं। जिक्र योग्‍य है कि मोदी के मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से शिक्षक दिवस के मौके पर यह दूसरा कार्यक्रम है।

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पीएम मोदी ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न स्कूलों के आठ सौ छात्र एवं 60 अध्यापक से परिसंवाद किया।

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