वेंकैया नायडू ने यहां राज्यसभा के नए सदस्यों के लिए दो दिन के ओरिएंटेशन कार्यक्रम का शुभारंभ किया और करीब एक घंटे तक संसद के कामकाज के अलग-अलग पहलुओं पर उनसे बात की.
Trending Photos
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने नवनिर्वाचित सदस्यों से ‘राजनीति बाहर छोड़ने’ और सदन के भीतर जनकल्याण पर ध्यान देने को आज कहा. नायडू ने यहां राज्यसभा के नए सदस्यों के लिए दो दिन के ओरिएंटेशन कार्यक्रम का शुभारंभ किया और करीब एक घंटे तक संसद के कामकाज के अलग-अलग पहलुओं पर उनसे बात की. उन्होंने साथ ही सभी सदस्यों से राज्यसभा और संसद का सुचारू कामकाज सुनिश्चित करने और बहस की गुणवत्ता बेहतर करने की अपील की.
नायडू ने कहा, ‘मेरा अनुशासन और नियम बनाए रखने में गहरा विश्वास है. नियमों का उल्लंघन किए जाने और सदन को बाधित किए जाने पर मैं भावुक हो जाता हूं.’ उन्होंने कहा,‘भीड़तंत्र को विचारशील संसदीय लोकतंत्र को पटरी से उतारने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. सांसदों के एक समूह का अध्यक्ष के आसन के पास पहंचना और कार्यवाही को बाधित करने से लोकतंत्र प्रभावित होता है. हम बहुमत में हों या अल्पमत हों, हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. हमें जनमत का सम्मान करना चाहिए.’ ओरिएंटेशन कार्यक्रम के पहले दिन 40 से ज्यादा सांसद मौजूद थे.
टीआरएस, एसपी और बीजेडी ने किया नायडू का सर्मथन
वहीं राज्यसभा में विपक्षी दलों को अपनी बात रखने के लिए कथित रूप से पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के मुद्दे पर सभापति एम वैंकेया नायडू को विपक्ष द्वारा पत्र लिखने पर विचार किए जाने की खबरों के बीच तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), समाजवादी पार्टी (एसपी) और बीजू जनता दल (बीजेडी) ने नायडू के प्रति अपना समर्थन और विश्वास व्यक्त किया है.
टीआरएस की ओर से इस मामले में नायडू को लिखे गए पत्र में उनके प्रति पूरा समर्थन और विश्वास व्यक्त किया गया है. वहीं कुछ अन्य गैर एनडीए दलों ने नायडू के सदन संचालन की खुल कर तारीफ की है.
सूत्रों के अनुसार नायडू ने खुद भी शुक्रवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ हुई साप्ताहिक बैठक में इस मुद्दे को उठाया था. इस पर टीआरएस, बीजद और सपा ने सभापति के सदन संचालन की तारीफ करते हुए स्पष्ट किया कि इस बारे में उन्हें पत्र लिखे जाने की विपक्षी दलों की कथित कवायद से उनके दल अलग हैं.
टीआरएस के राज्यसभा सदस्य डी श्रीनिवास ने सभापति को पत्र लिखकर इन आरोपों पर आश्चर्य जताया. उन्होंने कहा ‘विपक्ष के कुछ सदस्य सभापति पर पक्षपात और पूर्वाग्रह के निराधार आरोप लगाने की कवायद में शामिल हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.’
(इनपुट - भाषा)