कुपोषण के अभिशाप से जूझ रहे मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने महिला और बाल विकास विभाग के साथ मिलकर बुधवार को नए प्रयोग की औपचारिक शुरूआत की.
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इंदौर: कुपोषण के अभिशाप से जूझ रहे मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने महिला और बाल विकास विभाग के साथ मिलकर बुधवार को नए प्रयोग की औपचारिक शुरूआत की. इसके तहत इंदौर जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण की स्थिति की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी. हैदराबाद स्थित एनआईएन के जन स्वास्थ्य पोषण विभाग प्रमुख ए लक्ष्मैया की मौजूदगी में इंदौर में करीब 110 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष टैबलेट बांटे गए.
ऑनलाइन दर्ज होंगी स्वास्थ्य और पोषण स्तर की प्रविष्टियां
लक्ष्मैया ने बताया कि एनआईएन के विकसित पोषण निगरानी तंत्र की प्रायोगिक परियोजना के तहत यह कार्यकर्ता टैबलेट पर पांच साल के कम उम्र के बच्चों तथा महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण स्तर के अलग-अलग मानकों पर नियमित तौर पर प्रविष्टियां दर्ज करेंगी. इस रियल टाइम जानकारी का अध्ययन करने के बाद प्रदेश सरकार के सभी संबंधित विभागों को जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की जाएगी, ताकि बच्चों और महिलाओं में पोषण स्तर बढ़ाया जा सके.
उन्होंने मध्यप्रदेश को लेकर एनआईएन के अध्ययन के हवाले से बताया कि सूबे के छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा कमी आयरन की पाई जाती है. कई बच्चों में कैल्शियम और विटामिनों का स्तर भी आदर्श मानकों से कम है. इसके अलावा, सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और पीने के साफ पानी की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है.
115 कार्यकर्ताओं को मिले टैबलेट
लक्ष्मैया ने बताया कि पोषण निगरानी तंत्र की प्रायोगिक परियोजना के लिए मध्यप्रदेश के साथ केरल, मेघालय, महाराष्ट्र, उड़ीसा और तेलंगाना के एक-एक जिले को चुना गया है. महिला और बाल विकास विभाग के सहायक निदेशक विष्णुप्रताप सिंह राठौर ने बताया कि इस परियोजना के तहत इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की करीब 110 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ चार सुपरवाइजर और एक परियोजना अधिकारी को भी टैबलेट बांटे गए हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इन टैबलेट के इस्तेमाल का खास प्रशिक्षण दिया जाएगा.
(इनपुट भाषा से)