अनोखी परंपरा: यहां जूठी पत्तल उठाने के लिए लगती है बोली, इनको ही मिलता है ये मौका
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अनोखी परंपरा: यहां जूठी पत्तल उठाने के लिए लगती है बोली, इनको ही मिलता है ये मौका

यूं तो सार्वजनिक भंडारों में भोजन के बाद अमूमन जूठी पत्तल उठाने से लोग कतराते हैं, लेकिन खंडवा में एक आयोजन ऐसा भी होता है जहां झूठी पत्तल उठाने के लिए बोली लगाई जाती है.

आयोजन की व्यवस्था के मुताबिक जो व्यक्ति सबसे ज्यादा रुपए की बोली लगाता है उसी का परिवार प्रारंभ से अंत तक भोजन ग्रहण करने वालों की झूठी पत्तलें उठाता है

खंडवा (प्रमोद सिन्हा): यूं तो सार्वजनिक भंडारों में भोजन के बाद अमूमन जूठी पत्तल उठाने से लोग कतराते हैं, लेकिन खंडवा में एक आयोजन ऐसा भी होता है जहां जूठी पत्तल उठाने के लिए बोली लगाई जाती है. आयोजन की व्यवस्था के मुताबिक जो व्यक्ति सबसे ज्यादा रुपए की बोली लगाता है उसी का परिवार प्रारंभ से अंत तक भोजन ग्रहण करने वालों की जूठी पत्तलें उठाता है. बताया जा रहा है कि जूठी पत्तल उठाने को यह लोग माता के आशीर्वाद के रूप में मानते हैं. यह सब कहीं और नहीं बल्कि नवरात्रि के दिनों में मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में आयोजित होने वाले गणगौर पर्व के दौरान होता है. खंडवा में की यह अनोखी परंपरा सालों पुरानी बतायी जाती है.

  1. खंडवा में भंडारे की जूठी पत्तलें उठाने के लिए लगती है रुपयों की बोली
  2. खाना परोसने से लेकर पानी पिलाने और पत्तल उठाने तक की बोली लगाई जाती है
  3. जो परिवार लगाता है सबसे बड़ी बोली उसकी मिलता है पत्तल उठाने का मौका

जो लगाता है सबसे ज्यादा बोली, वही परिवार उठाता है पत्तल
दरअसल, खंडवा में नवरात्रि के दौरान गणगौर का पर्व बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इन दिनों यहां पूरी श्रद्धा के साथ माता की भक्ति पूजा और आराधना की जाती है. आखिरी दिनों में भंडारे का आयोजन होता है और सभी धार्मिक श्रद्धालुओं को बैठकर भोजन कराया जाता है. निमाड़ क्षेत्र में अमूमन सभी समाज के लोग गणगौर पर्व मनाते हैं लेकिन प्रजापति और कहार समाज के लोग इस आयोजन में होने वाले भंडारे के दौरान जूठी पत्तल उठाने की बोली लगाते हैं. जो भक्त सबसे ज्यादा रुपए की बोली लगाता है उसी का परिवार जूठी पत्तल उठाता है. पत्तल उठाने का यह काम एक श्रद्धा और माता के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि माताजी के पूजा में जो लोग भोजन करने आते हैं उनकी जूठी पत्तलें उठाने पर उन्हें माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. बताया जा रहा है कि पिछले 50 वर्षों से यह प्रथा इस समाज में चली आ रही है.

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इस बार झूठी पत्तल उठाने के लिए लगी 7777 रुपये की बोली
जानकारी के मुताबिक माताजी के भंडारे में हर सेवा की बोली लगती है. खाना परोसने से लेकर पानी पिलाने और पत्तल उठाने तक की बोली लगाई जाती है. लेकिन, सबसे ज्यादा बोली पत्तल उठाने के काम के लिए लगती है. बोली का यह पैसा भी इसी काम में लगाया जाता है. इस बार सबसे ज्यादा बोली 7777 रुपये की लगी और बोली लगाने वाले परिवार ने इसे अपना सौभाग्य समझा. भंडारे में शामिल लोग जैसे ही भोजन कर लेते हैं वैसे ही बोली लगाने वाले का परिवार पत्तल उठाने में जुट जाता है.

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कृष्ण ने भी उठाई थी झूठी पत्तलें
किवदंती है कि द्वापरयुग में जब पांडवों ने अश्वमेघ यज्ञ किया था तो भगवान श्रीकृष्ण ने भी जूठी पत्तल उठाई थी. यही नहीं कई धार्मिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख बताया जाता है कि भोजन कराने से ज्यादा पुण्य जूठी पत्तल उठाने में मिलता है. यही वजह है कि खंडवा में चल रही यह अनूठी परंपरा सालों साल से चली आ रही है.

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