राजनैतिक दलों का मानना है कि आदिवासी बाहुल्य वाली इन 29 सीटों पर कब्जा किए बगैर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करना और सत्ता तक पहुंचना नामुमकिन सा है.
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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 की सुगबुहाट के साथ सभी राजनैतिक दलों ने अपनी जीत पक्की करने के लिए अपनी जमीन तलाशना शुरू कर दी है. इसी कवायद के तहत, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में अपना भाग्य आजमाने जा रहे सभी राजनैतिक दलों की निगाहें आदिवासी इलाके में टिक गई हैं. चाहे बीजेपी हो या फिर कांग्रेस, चाहे आम आदमी पार्टी हो या फिर जोगी कांग्रेस, सभी राजनैतिक दल आदिवासी बाहुल्य वाली 29 सीटों पर अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं. राजनैतिक दलों का मानना है कि आदिवासी बाहुल्य वाली इन 29 सीटों पर कब्जा किए बगैर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करना और सत्ता तक पहुंचना नामुमकिन सा है.
बदली परिस्थितियां बढ़ाएंगी कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 की बात करें तो आदिवासी बाहुल्य वाली इन सीटों पर कांग्रेस अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही थी. कांग्रेस इस इलाके की 29 सीटों में से 18 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं बीजेपी ने इस इलाके से 11 विधानसभा सीटें जीतीं थीं. इस बार इन विधानसभा क्षेत्रों से न केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस के लिए भी चुनौतियां आसान नहीं हैं. दरअसल, बीते चुनावों के दौरान जहां मुकाबला मुख्यरूप से कांग्रेस और बीजेपी के बीच था, वहां इस बार मुकाबला चौकोंणीय हो चुका है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इस बार अजीत जोगी की पार्टी जोगी-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी में हैं.
आप और जोगी बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस और बीजेपी का खेल
2013 में आदिवासी बाहुल्य 29 विधानसभा सीटों में 18 सीटों पर सफलता पाने वाली कांग्रेस की राह इस बार आसान नहीं है. दरअसल, विधानसभा चुनाव 2013 में अजीत जोगी कांग्रेस के साथ थे. अजीत जोगी का आदिवासी इलाकों में खासा प्रभाव माना जाता है. जून 2016 में कांग्रेस से अलग होने के बाद उन्होंने आदिवासी इलाकों की जमीन पर मौजूद अपनी जड़ों को पुख्ता करना शुरू कर दिया. जिसका खामियाजा इस बार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, इस बार आम आदमी पार्टी सोनी सोरी को अपना चेहरा बनाकर चुनाव में उतर रही है. सोनी सोरी का जमीनी जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है. ये दोनों पार्टियां आगामी चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी.
विकास के जरिए इलाके में पकड़ मजबूत करना चाहती है BJP
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 में बहुमत जुटाने के बावजूद बीजेपी की स्थिति आदिवासी बाहुल्य वाले 29 विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी नहीं थी. यहां से बीजेपी महज 11 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. आमागी विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए डॉ. रमण सिंह की सरकार ने इन इलाकों की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं में 2400 करोड़ रुपए का निवेश किया है. जिसके तहत नस्कल प्रभावित 8 जिलों में विकास के लिए 230 करोड़ रुपए दिए हैं. वहीं बस्तर और सरगुजा के विश्वविद्यालयों को 16 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई है. इसके अलावा, आदिवासी इलाकों में लघु वनोपज से आजीविका चलाने वाले करीब 14 लाख परिवारों को मुफ्त चावल, चना नमक और गैस चूल्हा उपलब्ध कराकर बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है.