सनदी लेखाकारों की शीर्ष संस्था ने यह भी कहा कि नोटबंदी और काले धन पर लगाम लगाने के मुद्दे को अलग-अलग देखा जाना चाहिये.
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इंदौर: नोटबंदी पर सरकार का बचाव करते हुए भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने आज कहा कि 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने का करीब 22 महीने पुराना कदम विकास के अपने उद्देश्य में पूरी तरह कामयाब रहा है. सनदी लेखाकारों की शीर्ष संस्था ने यह भी कहा कि नोटबंदी और काले धन पर लगाम लगाने के मुद्दे को अलग-अलग देखा जाना चाहिये. आईसीएआई के अध्यक्ष नवीन एनडी गुप्ता ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा, "नोटबंदी को नाकाम करार दिये जाने का सवाल ही गलत है. नोटबंदी का उद्देश्य नकदी को बैंकिंग तंत्र में लाने का था जिससे (बैंकों द्वारा) मुख्य धारा की विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण किया जा सके. विकास के अपने मकसद में नोटबंदी पूरी तरह कामयाब रही है."
नये उद्यम स्थापित होंगे
उन्होंने कहा, "नोटबंदी के जरिये बड़े पैमाने पर नकदी बैंकिंग तंत्र में आई. इस रकम से देश में औद्योगिक और कारोबारी जगत को बढ़ावा मिलेगा. इससे नये उद्यम स्थापित होंगे और बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे." गुप्ता ने दावा किया कि नोटबंदी के कदम का आने वाले दिनों में "और सकारात्मक" प्रभाव दिखायी देगा तथा बहुत जल्दी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर दहाई अंक को पार कर जायेगी.
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की संपत्तियां अलग-अलग देशों में स्थित
उन्होंने एक सवाल पर कहा कि नोटबंदी और काले धन पर अंकुश का मुद्दा अलग-अलग विषय हैं. दोनों विषयों को अलग-अलग नजरिये से देखा जाना चाहिए. सरकार ने बेनामी सम्पत्तियों और काले धन के खिलाफ सख्त कायदे- कानून बनाये हैं. आईसीएआई अध्यक्ष ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र के मौजूदा डिजिटल माहौल में सीमा पार दिवाला प्रक्रिया के प्रावधान तय करने का यह एकदम सही समय है, क्योंकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कारखाने, दफ्तर, गोदाम और अन्य संपत्तियां अलग-अलग देशों में स्थित होती हैं.
सीमा पार दिवाला प्रक्रिया पर कानून बनने की उम्मीद
गुप्ता ने कहा, "जब तक ये प्रावधान तय नहीं होंगे, तब तक सीमा पार दिवाला प्रक्रिया के संबंध में हमारे राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरणों (एनसीएलटी) के आदेश संबंधित कम्पनियों की अन्य देशों में स्थित संपत्तियों पर किस तरह अमल में आयेंगे." उन्होंने हालांकि कहा कि देश में सीमा पार दिवाला प्रक्रिया के बारे में जल्द कानून बनने की उम्मीद है.