वीएल कांताराव का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: मध्यप्रदेश में 80% वोटिंग कराना हमारा लक्ष्य
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वीएल कांताराव का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: मध्यप्रदेश में 80% वोटिंग कराना हमारा लक्ष्य

मध्य प्रदेश में चुनाव तैयारियों को लेकर राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी एल कांता राव ने जी न्यूज डिजिटल से खास बातचीत की.

मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी एल कांता राव.

भोपाल: कड़ी सुरक्षा के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों के लिए वोटिंग जारी है. शांतिपूर्ण तरीके से वोटिंग कराने के लिए चुनाव आयोग ने बेहद सख्त इंतजाम किए हैं. पहली बार राज्य में वीवीपैट(VVPAT) के जरिए वोटिंग हो रही है. ऐसे में वोटिंग की तैयारियों को लेकर जी न्यूज डिजिटल के ओपिनियन एडिटर पीयूष बबेले ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी एल कांता राव से खास बातचीत की.

सवाल: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ऐसी कौन सी नई बात होगी जो इसके पहले के विधानसभा चुनावों में नहीं हुई.
जवाब: मध्यप्रदेश में इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी बूथों पर वीवीपेट मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें हर वोटर यह देख सकेगा कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है वोट उसी उम्मीदवार को मिला है. इस प्रक्रिया के लागू होने से वोटर के दिमाग में अपने मत की अनिश्चितता को लेकर किसी भी तरह का संशय दूर हो जाएगा. इस बार सभी 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में इसका उपयोग किया जा रहा है.

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मध्य प्रदेश में चुनाव आयोग ने लोगों से वोटिंग में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है.

सवाल: क्या आपको लगता है कि इससे ईवीएम को लेकर उठाए जा रहे सवाल खत्म हो जाएंगे.
जवाबः निर्वाचन आयोग अपनी तरफ से पूरी तरह साफ सुथरा मतदान सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हर बूथ पर वीवीपेट मशीन का इस्तेमाल इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है. जहां तक सवालों का सवाल है तो आप किसी को सवाल उठाने से रोक नहीं सकते लेकिन इतना तय है की ईवीएम मशीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसको लेकर बेवजह का भ्रम फैलाया जाता है.

सवालः इस बार आप ने कुछ विशेष ऐप का इस्तेमाल भी किया है. इन एप से चुनाव वोटिंग में क्या फर्क पड़ेगा.
जवाबः हमने मुख्य रूप से दो ऐप का इस्तेमाल किया है. जो वोटरों के लिए काम के हैं. पहला एप है सुगम्य और दूसरा है कि क्यूलेस ऐप. पहले ऐप का इस्तेमाल विकलांग, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों की माताओं के लिए है. इसमें वे घर बैठे ऐप के जरिए अपना वोटिंग पास हासिल कर सकते हैं. इस पास के के जरिए उन्हें पता चल जाएगा कि उन्हें किस समय वोटिंग करते आना है. ऐसे में वे कतार में लगने से बच जाएंगी. मध्य प्रदेश में चार लाख से ज्यादा मतदाताओं ने वोटिंग से एक दिन पहले इस तरह के पास निकाल लिए हैं.

विकलांग जन इसी एप पर अपने लिए वाहन की मांग भी कर सकते हैं और पास भी निकाल सकते हैं. विकलांग व्यक्ति के लिए एक सहयोगी और एक वाहन चालक का पास साथ में निकलेगा.
क्यूलेस ऐप के जरिए लोग घर बैठे वोटिंग के समय का अपना टोकन निकाल सकते हैं और लाइन में लगे बिना वोट डाल सकते हैं. एक तीसरा एप भी है जिसे वोटिंग परसेंट नाम दिया गया है इस पर समय बद्ध तरीके से कितनी वोटिंग हुई उसका परसेंट जाना जा सकेगा.

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वोटरों को जागरूक करनेे के लिए चुनाव आयोग ने प्रचार पर जोर दिया है.  

सवालः क्या आपको लगता है कि इन प्रयासों से मध्यप्रदेश में वोटिंग का परसेंट बढ़ जाएगा.
जवाबः इन नए प्रयासों के अलावा मध्य प्रदेश में वोटर को प्रोत्साहित करने के लिए और भी बहुत से कदम उठाए गए हैं. शायरी क्षेत्रों में कई बार इस तरह की समस्या आती है की संपन्न तबके के वोटर बड़ी संख्या में वोट डालने नहीं आते हैं. इन वोटरों को सक्रिय बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है. हमें पूरी उम्मीद है कि इंदौर भोपाल और दूसरे महानगरों में इसका अच्छा असर आएगा. कम मत प्रतिशत की एक वजह गांव से हुआ पलायन भी होती है. इस बार कोशिश की गई है कि पलायन करने वाले लोगों को भी मतदान के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

सवालः आप पलायन कर गए लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने की बात कह रहे हैं, लेकिन कई गांवों और बूथ पर लोगों ने मतदान के बहिष्कार की बात कही है, उनका क्या करेंगे.
जवाबः इस तरह की घटनाएं बहुत जगह से सामने नहीं आई हैं, खंडवा जिले से जरूर इस तरह की बातें सामने आई थी इसलिए वहां मतदान का बहिष्कार रोकने के लिए विशेष मुहिम चलाई गई थी. आज आप देख सकते हैं कि हमने इन सारी समस्याओं पर काबू पा लिया है.

सवालः तो इस तरह आप कितना वोट परसेंट बढ़ा लेंगे.
जवाबः पिछले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में 72 फ़ीसदी वोटिंग हुई थी, इस बार हमें 80 फ़ीसदी वोटिंग होने की उम्मीद है. हमने 80 फ़ीसदी वोटिंग का लक्ष्य रखा है. यह लक्ष्य इसलिए भी हासिल हो जाएगा क्योंकि मतदाता सूचियों को काफी हद तक दुरुस्त कर लिया गया है. कम वोटिंग की एक वजह यह भी रहती थी कि विवाह के बाद ससुराल आ गई महिलाओं का नाम उनके ससुराल की मतदाता सूची में दर्ज नहीं हो पाता था, इस काम में देरी होती थी. लेकिन इस बार यह काम मुस्तैदी से किया गया है, इसीलिए इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में जहां पुरुष वोटरों की संख्या में 7.13 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या में 9.40 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है. पहले 1000 पुरुष वोटरों पर 894 महिलाएं होती थी वहीं अब यह संख्या 1000 पुरुष पर 917 महिलाओं की हो गई है. मुझे लगता है कि यह सारे मिले-जुले प्रयास बेहतर वोटिंग के रूप में सामने आएंगे.

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VVPAT पर्ची कुछ इस तरह दिखेगी.

सवालः क्या वोटिंग बढ़ाने के लिए आपने सोशल मीडिया और मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल किया है.
जवाबः आपको जानकर ताज्जुब होगा कि हमारे पास 5 करोड़ मतदाताओं में से जिन 1.57 करोड मतदाताओं के मोबाइल डीटेल्स थे, उन्हें पांच-पांच बार वोटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए एसएमएस भेजे जा चुके हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया पर पूरा कैंपियन चल रहा है. सोशल मीडिया के द्वारा स्कूल कॉलेज और दूसरी जगहों पर भी बड़े पैमाने पर लोगों को वोटिंग के लिए जागरूक बनाने का प्रचार अभियान चलाया गया है. इस सब का नतीजा मध्यप्रदेश में बेहतर मतदान के रूप में सामने आएगा.

सवालः आपने सिर्फ मतदाता को जागरुक ही किया है या चुनाव को करप्ट करने वाली प्रक्रियाओं को भी रोका है.
जवाबः मध्य प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में 27 करोड़ रुपए की नगदी और दूसरी संपत्ति जप्त की गई थी, जबकि यही आंकड़ा 26 नवंबर की शाम तक 70 करोड़ रुपए को पार कर गया. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर मंत्री और विधायक के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई हैं. शराब बांटने और नोट बांटने के मामलों में भी प्रशासन ने सख्ती से काम किया है. हमें उम्मीद है कि जनता के सहयोग से यह मध्य प्रदेश का बेहद साफ सुथरा चुनाव होगा.

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