गठबंधन में गांठ: क्‍या मायावती के कदम से बीजेपी को मिलेगा फायदा?
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गठबंधन में गांठ: क्‍या मायावती के कदम से बीजेपी को मिलेगा फायदा?

मायावती ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में उनकी पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी.

कर्नाटक चुनावों के बाद जेडीएस-कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती और कांग्रेस नेतृत्‍व के बीच नजदीकी देखी गई थी.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में उनकी पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी. इसके साथ ही उन्‍होंने इन राज्‍यों में कांग्रेस के साथ गठबंधन की अटकलों पर विराम लगा दिया. हालांकि कुछ दिन पहले मध्‍य प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि जल्‍द ही मायावती के साथ गठबंधन की बात फाइनल हो जाएगी. लेकिन मायावती के ऐलान के साथ ही यह स्‍पष्‍ट हो गया कि इन चुनावी राज्‍यों में कांग्रेस को अब अपने दम पर ही मैदान में उतरना होगा.

  1. एमपी और छत्‍तीसगढ़ में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी
  2. इससे पहले छत्‍तीसगढ़ में भी बसपा ने अकेले लड़ने का ऐलान किया
  3. आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और बसपा के गठबंधन पर संशय

इसके कुछ दिन पहले छत्‍तीसगढ़ चुनावों में भी बसपा ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. अब सवाल उठ रहा है कि क्‍या कांग्रेस और बीएसपी के इन तीनों चुनावी राज्‍यों में अलग चुनाव लड़ने से बीजेपी को सीधा फायदा होगा? राजनीतिक विश्‍लेषक तो कुछ ऐसा ही कह रहे हैं. ऐसा इसलिए क्‍योंकि अब मुकाबला त्रिकोणीय होगा. यदि ये गठबंधन होता तो इन तीनों ही बीजेपी शासित राज्‍यों में मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस गठबंधन के बीच होता. सत्‍ता विरोधी लहर का सामना कर रही बीजेपी को उस हालत में कड़ी चुनौती मिलनी तय थी. लेकिन कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन नहीं होने से बीजेपी को जरूर कुछ हद तक राहत मिलेगी.

मायावती ने कांग्रेस को दिया बड़ा झटका, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अकेले चुनाव लड़ेगी BSP

उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि मोटेतौर पर कांग्रेस और बीएसपी का वोटबैंक एक जैसा है. इसलिए इन दोनों के अलग चुनाव लड़ने की स्थिति में वोटों का बंटवारा होने के कारण कांग्रेस को नुकसान अधिक होगा. इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

क्‍यों नहीं बनी बात?
दरअसल सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस, बीएसपी के साथ राज्‍यवार समझौते के मूड में थी लेकिन बीएसपी इन तीनों ही राज्‍यों में कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहती थी. मसलन कांग्रेस मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में दलित, आदिवासियों के बड़े वोटबैंक के कारण बीएसपी के साथ गठबंधन की इच्‍छुक थी लेकिन राजस्‍थान में उसको लगता था कि वह अकेले दम ही बीजेपी को‍ शिकस्‍त देने में सक्षम है. उसको ये भी लगता था कि राजस्‍थान में बीएसपी बड़ी ताकत नहीं है और उसके साथ गठबंधन होने से कालांतर में कांग्रेस को ही नुकसान होगा.

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मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का रवैया बीजेपी को हराना नहीं है. कांग्रेस का रवैया विपक्षी दलों को हराने का है. (फोटो साभार- ANI)

लोकसभा चुनाव
खैर, बात यहीं तक होती तो ठीक था लेकिन मायावती ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह कांग्रेस पर अहंकारी होने के साथ बड़े आरोप लगाए, उससे आगामी लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस की धुरी वाले संभावित महागठबंधन में बीएसपी के शामिल होने पर सस्‍पेंस खड़ा हो गया है. ये इसलिए भी बेहद मायने रखता है क्‍योंकि यूपी की 80 लोकसभा सीटों के लिहाज से बीजेपी को शिकस्‍त देने के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच महागठबंधन की अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन मायावती की 'एकला चलो' रणनीति और कांग्रेस पर तीखे हमले के कारण यह संभावना फिलहाल खटाई में पड़ती दिख रही है.  

कांग्रेस पर हमला करते हुए मायावती ने कहा कि उनको इस बात का भ्रम है कि वे अपने दम पर बीजेपी को हरा सकते हैं लेकिन जमीनी सच्‍चाई यह है कि लोगों ने कांग्रेस पार्टी को उनकी गलतियों और भ्रष्‍टाचार के लिए माफ नहीं किया है...उनको देखकर ऐसा लगता भी नहीं है कि उन्‍होंने कुछ सबक सीखा है. उन्‍होंने यह भी कहा कि बीजेपी की तरह कांग्रेस भी बसपा को खत्‍म करना चाहती है. कांग्रेस पर इस तरह के सीधे वार के बाद आगामी लोकसभा चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच संभावित गठबंधन को लेकर पेंच फंसना लाजिमी है.

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