पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की भतीजी करुणा शुक्ला ने की ज़ी मीडिया से बात करते हुए कहा कि अटल जी का खुली किताब रहा.
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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की भतीजी करुणा शुक्ला ने की ज़ी मीडिया से बात करते हुए कहा कि अटल जी का खुली किताब रहा. बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में लाइफ सपोर्ट पर रखा गया है. वाजपेयी का हालचाल जानने के लिए एम्स में नेताओं को तांता लगा हुआ है. देशभर में लोग उनके स्वस्थ्य होने की दुआएं कर रहे हैं.
खाना बनाने और खाने रहे हैं शौकीन
वाजपेयी जी की भतीजी ने बताया कि जीवन में शुचिता और संस्कार का बड़ा महत्व है. अटल जी कभी नाराज नहीं होते थे. जब भी ग्वालियर में घर आते पूरे परिवार में हल्का फुल्का वातावरण बन जाता था. खाने और खाना पकाने के शौकीन रहे हैं. खाने में उन्हें रसाजें, कढ़ी, गरम गुलाब जामुन और खीर बहुत पसंद हैं. जब भी अटल जी परिवार के साथ होते थे तो ग्वालियर मेले में जरूर जाते थे.
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अटल जी ने अपने प्रति और देश के प्रति ईमानदारी बरती
जब जरूरत होती तो लोगों की सराहना करते और सच कहते रहे हैं. उन्होंने सत्ता प्राप्ति के लिये कभी समझौता नहीं किया. मेरे परिवार में बाबा,पिता, और चाचा कवि रहे हैं. अटल जी कविता के जरिये अपनी भावनाओं जाहिर करते हैं. आगे बात करते हुए करुणा शुक्ला ने कहा कि मेरे बाबा और अटल चाचा कानपुर में पढ़ाई करते थे. उस समय एक दिन बाबा स्कूल जाते और एक दिन चाचा. शिक्षक ने पूछा तो जवाब दिया दोनों की एक-एक दिन खाना बनाने की ड्यूटी रहती है इसलिये अलग-अलग दिन स्कूल आते हैं.
अटल जी कुशाग्र बुद्धि के धनी रहे
एक बार अटल जी स्कूल देरी से पहुंचे भाषण प्रतियोगिता हो रही थी. टीचर ने उन्हें मना किया लेकिन अटल जी ने भाषण दिया और उन्हें प्रथम स्थान मिला. अटल जी के घर आने पर माहौल बहुत मजेदार होता था. पूरे परिवार का जमावड़ा करते और बोलते आओ चट्टा उड़ाते हैं. बुआ और बच्चों का खूब चट्टा उड़ाते और वातावरण को हल्का फुल्का बनाए रखते.
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वाजपेयी परिवार की जिम्मेदारी संभाली
अटल जी हमेशा कहते है भाषा वाणी का वाजपेयी परिवार को वरदान में मिला है, उसे संभाले रखने की जिम्मेदारी है. जब में राजनीति में आई तो उन्होंने मुझे करूणा बोलना छोड़ दिया. मुझे एमएलए, सांसद विभिन्न पद से संबोधित करते रहे. 2004 की लोकसभा उनकी आखिरी थी और मेरी पहली लोकसभा थी. दोपहर का भोजन भतीजी के नाते उनके केबिन में करती थी. अटल जी वेल पर जाना पसंद नहीं करते थे. एक बार पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के विरोध के लिये मैं वेल में नारेबाजी करने पहुंच गई तभी मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अटल चाचा ने आंखों से इशारा किया और मैं वापस आ गई.
कभी भी किसी को अपमानित नहीं किया
संघ और भाजपा को भाषा के उपयोग कैसे करें वह अटल जी से सीखना चाहिए. उन्होंने नेहरू जी और इंदिरा जी के बांग्लादेश बनाने पर जो भाषण दिया उससे सीखना चाहिए. उन्होंने अपने जीवन मे किसी को अपमानित नहीं किया.