फिर छलका विस्थापितों का दर्द
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फिर छलका विस्थापितों का दर्द

राजगढ़ में बनाए जा रहे डैम के विस्थापितों का दर्द एक बार फिर छलका है, उन्होंने निर्माण कंपनी और प्रशासन पर कई आरोप लगाए हैं, पढ़िए पूरी ख़बर। 

फिर छलका विस्थापितों का दर्द

राजगढ़: मध्य प्रदेश के राजगढ़ में मोहनपुरा डैम बनाने के नाम पर हुए भ्रष्टाचार और मुआवज़े को लेकर एक बार फिर विस्थापितों का दर्द सामने आया है।

राजगढ़ में तीन हज़ार करोड़ की लागत से डैम का निर्माण कराया जा रहा है, डैम बनाने का काम 70 फीसदी पूरा भी हो चुका है।

लेकिन डैम की वजह से डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक उन्हें ना तो पूरा मुआवज़ा मिला और ना ही सही जगह पर विस्थापित किया गया।

उल्टे प्रशासन उन्हें बेघर करने का दबाव बना रहा है, डैम के डूब में आने वाले 36 गांवों में सबसे पहले मांझरीखो और बासखेड़ी का नाम है।

लेकिन आरोप है कि दोनों गांवों के लोगों को विस्थापित करने की बजाय प्रशासन दबाव बनाकर उन्हें बेघर करने पर आमादा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि गांवों को खाली कराने के लिए पुलिस से लेकर हर तरह का दबाव डाला जा रहा है।

नियम के मुताबिक पहले विस्थापन और इसके बाद डैम का निर्माण होना चाहिए लेकिन डैम की निर्माण एजेंसी नियम कायदों को ताक पर रख धीमी गति से डैम बनाने में जुटी है।

आरोप हैं कि ग्रामीणों को बियाबान जंगल में मकान बनाने का दबाव डाला जा रहा है जबकि विस्थापितों को दी जाने वाली जगह पर सड़क, नाली, पानी और बिजली का इंतज़ाम होना ज़रूरी है।

हालांकि SDM का कहना है कि विस्थापितों के लिए ज़मीन का आवंटन कर दिया गया है ज़रूरी सुविधाओं को लेकर भी प्रशासन की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि जिन किसानों की ज़मीन डूब क्षेत्र में आई ही नहीं उनके खातों में प्रशासन ने मुआवज़ा राशि डाल दी है।

जबकि प्रभावित लोग अब भी मुआवजे के लिए भटक रहे हैं हालांकि बताया ये भी जा रहा है कि मामले का खुलासा होने के बाद अब प्रशासन अपात्र लोगों से मुआवजा राशि लेने में जुटा हुआ है जिसे SDM खुद स्वीकार कर रहे हैं। 

वहीं डैम के डूब प्रभावितो के साथ कांग्रेस अब अपनी डूबी साख बचाने में जुट गई है कांग्रेस नेता विस्थापित लोगों के पक्ष में सरकार के खिलाफ उतर आए हैं। 

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