जांजगीर-चांपा जिले में एक रिटायर्ड शिक्षक पर ऐसा जुनून सवार है कि वे रिटायर होने के बाद भी पिछले 18 सालों से गांव में शिक्षा के प्रति अलख जगा रहे हैं.
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बिलासपुर: जांजगीर-चांपा जिले में एक रिटायर्ड शिक्षक पर ऐसा जुनून सवार है कि वे रिटायर होने के बाद भी पिछले 18 सालों से गांव में शिक्षा के प्रति अलख जगा रहे हैं. 82 की उम्र में न केवल वे नियमित सुबह शाम दो-दो घंटे क्लास लेते हैं, बल्कि गरीब बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. इतना ही नहीं वे शिशु मंदिर में नियमित नि:शुल्क अध्ययन कराते हैं. शिक्षा के प्रति उनकी लगन को क्षेत्र के लोग मुक्तकंठ से सराहना करने पीछे नहीं हटते.
जिले के ग्राम पंचायत पचोरी निवासी पं. गोरेलाल पांडेय वर्ष 2000 में शिक्षक पद से रिटायर हुए मगर उन्होंने कभी यह अहसास होने नहीं दिया कि वे कभी रिटायर हुए हैं. 60 साल की उम्र में रिटायर होने के बाद वे लगातार 18 सालों से बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. शिक्षक गोरेलाल में शिक्षा के प्रति कूट-कूट कर भरी लगन को देखकर हर आदमी उनका प्रशंसक बन जाता है. सुबह उठकर वे केवल शिक्षा के प्रति ही छात्र-छात्राओं को लगन की सीख देते हैं. उनके पढ़ाने की पद्धति को देखकर छात्र-छात्राएं भी आकर्षित होते हैं और दर्जनों छात्र सुबह-शाम उनकी क्लास में पढ़ने आते हैं.
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पेंशन से करते हैं करीब बच्चों की मदद
पंडित गोरेलाल पांडेय के पढ़ाए बच्चे आज भी नवोदय विद्यालय, सैनिक भर्ती जैसे कई परीक्षाओं में पास होकर अच्छे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. कई ऐसे गरीब बच्चे हैं जो भारी भरकम फीस के चलते अच्छे स्कूलों में तालीम नहीं ले पाते, उन्हें आर्थिक मदद करने भी पीछे नहीं हटते. अपने पेंशन से मिली राशि से गरीब बच्चों की फीस की भरपाई भी करते हैं. शिक्षक गोरेलाल पाण्डेय के विद्यार्थी उनकी तारीफ करते नहीं थकते वहीं हर आम से लेकर खास तक उनका कायल है. उनके विषय में सांसद कमला देवी पाटले कहती हैं कि जिस तरह से छात्रों का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं वो सराहनीय है.