धरने पर कुल 12 लोग अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे. पुलिस ने शाम साढ़े छह बजे के आस-पास मेधाजी सहित उनके साथ उपवास पर बैठे कुल छह लोगों को धरना स्थल से बलपूर्वक उठाया. उसके करीब तीन घंटे बाद रात साढ़े दस बजे उपवास पर बैठे चार और लोगों को पुलिस जबरन उठा कर ले गई.
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धार/भोपाल: सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र के प्रभावितों के लिये उचित पुनर्वास की मांग को लेकर मध्यप्रदेश के धार जिले के चिखल्दा गांव में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठी नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और उनके अन्य साथियों को सोमवार को पुलिस द्वारा 12वें दिन धरना स्थल से बलपूर्वक उठाये जाने के तुरंत बाद 12 लोग फिर उसी स्थान पर अनशन पर बैठ गए. अनशन के बाद सोमवार देर रात इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती कराई गई मेधा की स्थिति अब खतरे से बाहर है. इस बीच, आंदोलन कर रहे कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मेधा को अस्पताल में एक तरह से नजरबंद कर दिया गया है. हालांकि, सरकार ने इस आरोप को सिरे ने नकार दिया है.
मेधा को बलपूर्वकर उठाया
बांध के विस्थापितों के लिए संघर्ष कर रही हिम्शी सिंह ने मंगलवार को धरना स्थल से बताया कि, ‘धरने पर कुल 12 लोग अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे. पुलिस ने शाम साढ़े छह बजे के आस-पास मेधाजी सहित उनके साथ उपवास पर बैठे कुल छह लोगों को धरना स्थल से बलपूर्वक उठाया. उसके करीब तीन घंटे बाद रात साढ़े दस बजे उपवास पर बैठे चार और लोगों को पुलिस जबरन उठा कर ले गई.’ उन्होंने कहा कि मेधाजी के साथ 12 दिनों तक अनशन पर बैठे 12 लोगों में से दो लोग अब भी उपवास पर बैठे हैं. इन दो व्यक्तियों के अनशन का 13वां दिन है. जबकि सोमवार रात से ही 10 अन्य लोग इनके साथ अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गये हैं. इस प्रकार अब भी धरना स्थल पर कुल 12 लोग अनशन पर बैठे हैं. रूखमणीबाई और भागवती पाटीदार दो ऐसी अनशनकारी हैं, जिन्होंने मेधाजी के साथ भी अनशन में हिस्सा लिया था.
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हालत स्थिर
हिम्शी ने बताया कि पुलिस ने मेधाजी को 12 दिन के अनशन के बाद धरनास्थल से उठा ले जाने के बाद सोमवार देर रात इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेताओं, कार्यकर्ताओं और मीडिया को मेधाजी से अस्पताल में मिलने नहीं दिया जा रहा है और सरकारी काम में बाधा डालने के नाम पर हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं.’’ इंदौर संभाग के आयुक्त संजय दुबे ने बताया, ‘मेधा इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती हैं. इलाज शुरू होने के बाद उनकी हालत खतरे से बाहर है. लेकिन 12 दिन के अनशन के बाद वह बेहद कमजोर हो गयी हैं. उन्हें कुछ दिन तक डॉक्टरों की देख-रेख और इलाज की जरूरत है. उनकी सेहत में सुधार के लिये उन्हें अस्पताल में जरूरी दवाएं दी जा रही हैं. उनकी हालत फिलहाल स्थिर है.
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प्रशासन ने अस्पताल में किया नजरबंद
इस बीच, इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और इसके आस-पास बैरिकेड लगाये गये हैं. अस्पताल के बाहर मेधा समर्थक लगातार जुट रहे हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने मंगलवार को अस्पताल में मेधा से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, "प्रशासन ने मेधा को अस्पताल में इलाज की आड़ में एक तरह से नजरबंद कर दिया है. वह अपने समर्थकों से मिलना चाहती हैं, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी जा रही है. मेधा निजी अस्पताल में अपना महंगा इलाज नहीं कराना चाहतीं. वह इस अस्पताल से बाहर निकलना चाहती हैं.
मेधा पाटकर की हालत खतरे से बाहर, आंदोलनकारियों का आरोप अस्पताल में नजरबंद किया
लोगों का प्रदर्शन, शिवराज का पुतला फूंका
धार पुलिस अधीक्षक बीरेन्द्र सिंह ने बताया कि मेधाजी को चिकित्सालय में ले जाने के समय कल हुए हंगामे में करीब 30 पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं. उसमें से 20 पुलिसकर्मियों का मेडिकल हुआ है. 35 नामजद आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है और दूसरे में 2,500 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटनाक्रम के बाद बांध से डूब में आने वाले धार और बडवानी जिलों के 16 गांव पूर्णतः बंद रहे. व्यापार व्यवसाय ठप रहा. तकरीबन 1200 डूब प्रभावितों ने निसरपुर में रैली निकालकर जनपद पंचायत पहुंचकर एसडीएम ऋषभ गुप्ता को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मेधा पाटकर को जिस प्रकार बलपूर्वक उठाया, उस पर एतराज जताते हुए निंदा की और इसे गलत ठहराया. ज्ञापन में कहा गया है, यह आंदोलन पूरा अहिंसक था, किन्तु शासन एवं प्रशासन ने इसे हिंसक बना दिया, जो निंदनीय है.’इसके पश्चात ग्राम चिखल्दा में बांध से प्रभावित लोगों ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतला फूंका.