महाराष्ट्र : फडणवीस सरकार ने मानी किसानों की मांग, खत्म हुआ आंदोलन
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महाराष्ट्र : फडणवीस सरकार ने मानी किसानों की मांग, खत्म हुआ आंदोलन

मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार ने किसानों अधिकतर मांगें मान ली हैं और उन्‍हें लिखित पत्र दिया है. उधर, मुंबई से किसानों की वापसी के लिए रेलवे प्रशासन ने दो स्पेशल ट्रेन चलाई हैं.

6 दिन पहले करीब 35000 किसान नासिक से पैदल चलकर मुंबई पहुंचे

मुंबई : महाराष्ट्र में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) द्वारा पिछले छह दिनों से चल रहा किसानों का मार्च और आंदोलन सोमवार को सरकार द्वार अधिकतर मांगे माने जाने के बाद समाप्त हो गया. मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार ने किसानों अधिकतर मांगें मान ली हैं और उन्‍हें लिखित पत्र दिया है. उधर, मुंबई से किसानों की वापसी के लिए रेलवे प्रशासन ने दो स्पेशल ट्रेन चलाई हैं.

  1. 180 किलोमीटर पैदल मार्च किया किसानों ने
  2. नासिक से मुंबई पहुंचे 35,000 से ज्यादा किसान
  3. सरकार के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त

किसानों के आगे झुकी महाराष्ट्र सरकार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की. करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद सरकार ने मांगों पर लिखित भरोसा देने की बात कही. विधान भवन के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, ‘‘कृषि उपयोग में लाई जाने वाली वन भूमि आदिवासियों और किसानों को सौंपने के लिए हम समिति बनाने पर सहमत हो गए हैं. बशर्ते वे 2005 से पहले जमीन पर कृषि करने के सबूत मुहैया कराएं. हमने उनकी लगभग सभी मांगें मान ली हैं.’’  उन्होंने कहा कि किसानों की करीब 12-13 मांगें थीं जिनमें से ज्यादातर पर दोनों पक्षों में सहमति बन गई है. वनभूमि संबंधित मामले में मुख्यमंत्री ने 6 महीने में हल निकालने के निर्देश दिए हैं.

समिति का गठन
सरकार ने 6 मंत्रियों की एक समिति बनाई है जो कि किसानों की समस्या पर विचार करेगी. मुख्यमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होंगे. इस समिति में 6 मंत्री चंद्रकांत पाटील, गिरीश महाजन, एकनाथ शिंदे, पांडुरंग फुंडकर, विष्णू सावरा, सुभाष देशमुख हैं. 

 

सरकार द्वारा किसानों की मांगों पर सहमति व्यक्त करना नासिक से मुंबई तक लगभग180 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर आए किसानों के लिए बड़ी जीत है. राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उनकी‘‘ सभी मांगों’’ को स्वीकार किया जा रहा है. वह सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी की मौजूदगी में दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में धरना दे रहे किसानों को संबोधित कर रहे थे.

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इससे पहले आज फडणवीस ने कहा था कि उनकी सरकार किसानों के मुद्दे के प्रति ‘‘संवेदनशील और सकारात्मक’’ है.किसानों के लंबे मार्च पर विधानसभा में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘इसमें हिस्सा लेने वाले करीब 90 ऐ 95 फीसदी लोग गरीब आदिवासी हैं. वे वन भूमि पर अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. वे भूमिहीन हैं और खेती नहीं कर सकते. सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनशील और सकारात्मक है.’’ महाराष्ट्र के कई हिस्से में सूखे की स्थिति है और गांवों में कर्ज के चलते लोग आत्महत्याएं करते हैं.उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों की मांगों पर चर्चा करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया गया है. हम उनकी मांगों को समयबद्ध तरीके से हल करने का निर्णय करेंगे.’’ 

सीपीएम से जुड़ा संगठन अखिल भारतीय किसान सभा प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है. किसानों ने बिना शर्त ऋण माफ करने और वन भूमि उन आदिवासी किसानों को सौंपने की मांग की हैजो वर्षों से इस पर खेती कर रहे हैं.सीपीएम नेता अशोक धावले ने कहा कि किसान स्वामीनाथन समिति की अनुशंसा को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं जिसने कृषि लागत मूल्यों से डेढ़ गुना ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की अनुशंसा की है.

किसान नासिक, ठाणे और पालघर जिले में नदियों को जोड़ने की योजना में बदलाव की भी मांग की है ताकि आदिवासियों की जमीन नहीं डूबे और इस योजना से जल इन इलाकों और अन्य सूखाग्रस्त जिलों को मुहैया कराई जा सके.वे हाई स्पीड रेलवे और सुपर हाईवे सहित परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण करने का भी विरोध कर रहे थे.किसानों का समर्थन कांग्रेस, राकांपा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना भी कर रही थी जो राज्य और केंद्र में भाजपा नीत सरकार में शामिल है. मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को किसानों से मुलाकात की थी.

पैदल ही सड़कों पर उतरे 35,000 किसान
बता दें कि 6 दिन पहले नासिक से विभिन्‍न मांगों को लेकर करीब 35,000 किसान पैदल ही रविवार को मुंबई के आजाद मैदान पहुंचे. हालांकि सोमवार को किसानों का बड़ा प्रदर्शन का कार्यक्रम था, लेकिन किसानों से इसे यह कहकर टाल दिया कि वे नहीं चाहते कि उनके कारण किसी को कोई नुकसान या परेशानी हो. सोमवार को वर्किंग डे और छात्रों की बोर्ड परीक्षा होने के चलते इन किसानों ने सोमवार तड़के ही आजाद मैदान पहुंचकर वहां डेरा डाल दिया. 

विपक्ष ने किया समर्थन
विपक्षी दलों के साथ बीजेपी नीत गठबंधन के घटक शिवसेना ने भी इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया था. खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से उनकी मांगें स्वीकार करने की मांग की. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "मुंबई की विशाल किसान रैली जन शक्ति का शानदार उदाहरण है. कांग्रस पार्टी केंद्र और राज्य सरकारों की उदासीनता के खिलाफ रैली निकाल रहे किसानों और आदिवासियों के साथ है." उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री से अहंकार छोड़ने और किसानों की मांगें स्वीकार करने की मांग करता हूं."

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क्या थीं मांग
ऑल इंडिया किसान सभा के इस मोर्चे में ज्यादातर आदिवासी किसान शामिल हुए. इनकी मांगों में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के अलावा किसानों को संपूर्ण कर्ज माफी, प्रमुख जिंसों के डेढ़ गुना मूल्य देना, ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त होने की स्थिति में प्रति एकड़ 40 हजार रुपये तक मुआवजा देने जैसी मांगें शामिल थीं.

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