अपने स्वर्ण जयंती समारोह में शिवसेना ने भाजपा को नहीं बुलाया
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अपने स्वर्ण जयंती समारोह में शिवसेना ने भाजपा को नहीं बुलाया

साल 2017 में आसन्न बृहन मुम्बई नगर पालिका चुनाव से पहले भाजपा को एक तरह से झटका देते हुए शिव सेना ने अपने इस सहयोगी को रविवार को आयोजित अपने 50वें वषर्गांठ समारोह में आमंत्रित नहीं किया है।

मुम्बई : साल 2017 में आसन्न बृहन मुम्बई नगर पालिका चुनाव से पहले भाजपा को एक तरह से झटका देते हुए शिव सेना ने अपने इस सहयोगी को रविवार को आयोजित अपने 50वें वषर्गांठ समारोह में आमंत्रित नहीं किया है।

शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कयांदे ने बताया, ‘हमने भाजपा को आमंत्रित नहीं किया है क्योंकि यह हमारी पार्टी का आतंरिक समारोह है जिसका मकसद हमारे कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करना है। हाल ही में इलाहाबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक हुई थी जिसमें किसी सहयोगी को आमंत्रित नहीं किया गया। इसी तरह से प्रत्येक पार्टी का अपना समारोह होता है, बैठकें होती है जो उसके सदस्यों के लिए होती हैं।’ 

यह पूछे जाने पर कि क्या इस पहल को भाजपा के लिए यह संकेत माना जाए कि शिवसेना आगामी बीएमसी चुनाव में अकेले उतरने का निर्णय कर सकती है, उन्होंने कहा, ‘बीएमसी चुनाव के लिए हमारा मिशन 100 प्रतिशत शिवसेना है। हर पार्टी चुनाव जीतना चाहती है। शिवसेना हमेशा राज्य में केंद्र में रही है और उसे आगे बढ़ने के लिए किसी के सहयोग की जरूरत नहीं पड़ी जबकि ऐसी स्थिति भाजपा के साथ नहीं रही।'

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा, ‘यह उनका आंतरिक कार्यक्रम है और इसलिए किसे आमंत्रित करना है, यह उनकी पसंद है।’ भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘हम केवल उन्हें शुभेच्छा प्रकट कर सकते हैं।’ बहरहाल, विपक्षी दलों ने इन दोनों दलों पर चुटकी लेते हुए कहा कि उनकी आपसी खटपट से आने वाले बीएमसी चुनाव में उनके लिए खराब स्थिति उत्पन्न होगी।

राकांपा विधायक किरण पावस्कर ने कहा, ‘भाजपा और शिवसेना दोनों जानते हैं कि अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कारण बीएमसी चुनाव में उनके लिए सत्ता बनाये रहने संभावना नहीं है। दोनों दलों में वाकयुद्ध विपक्षी दलों के लिए लाभ की स्थिति होगी।

कांग्रेस प्रवक्ता अल नसीर जकारिया ने कहा, ‘सरकार के गठन के समय से दोनों दलों की स्थिति एक व्यक्ति की प्रमुखता वाली रही है। गठबंधन का अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए। राज्य के लोगों का उनमें विश्वास होना चाहिए। छोटे छोटे मुद्दों पर कहासुनी का लोगों के लिए कोई मतलब नहीं है। हालांकि अगर शिवसेना विपक्ष में बैठती है तब उनका स्वागत है।’  

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