शिवसेना की स्वर्ण जयंती आज, पार्टी को नंबर वन बनने का लक्ष्य
Advertisement

शिवसेना की स्वर्ण जयंती आज, पार्टी को नंबर वन बनने का लक्ष्य

‘क्षेत्रीय पहचान’ का मुद्दा उठाने के लिए वर्ष 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित किए जाने के बाद से कई राजनैतिक तूफानों का सामना कर चुकी शिवसेना शुक्रवार को 50 साल की होने जा रही है और पार्टी के सामने खुद को महाराष्ट्र में एक बार फिर ‘नंबर वन’ के तौर पर स्थापित करने की चुनौती है।

मुंबई : ‘क्षेत्रीय पहचान’ का मुद्दा उठाने के लिए वर्ष 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित किए जाने के बाद से कई राजनैतिक तूफानों का सामना कर चुकी शिवसेना शुक्रवार को 50 साल की होने जा रही है और पार्टी के सामने खुद को महाराष्ट्र में एक बार फिर ‘नंबर वन’ के तौर पर स्थापित करने की चुनौती है।

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य और पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने पूर्व सहयोगी भाजपा के शीषर्स्थ घटक बन जाने का संदर्भ देते हुए कहा कि कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण शिवसेना इस समय दूसरे स्थान पर आ गई है। उन्होंने कहा कि शिवसेना ने एक बार फिर नंबर वन बनने की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। शिवसेना अपनी स्वर्ण जयंती का जश्न एक साल तक मनाने की तैयारी कर रही है। पार्टी की स्थापना 19 जून, 1966 को मुंबई में की गई थी।

वर्ष 2017 में होने वाले मुंबई नगरपालिका के चुनाव भाजपा-शिवसेना के गठबंधन के लिए एक अग्निपरीक्षा होंगे। तब, प्रदेश में एक बार फिर उठ खड़ी होने वाली भाजपा सीटों के बंटवारे के मामले में शिवसेना के साथ बातचीत कर सकती है। शिवसेना एशिया के सबसे समृद्ध नागरिक निकाय पर दो दशक से भी ज्यादा समय से शासन कर रही है। यह भगवा गठबंधन वर्ष 2014 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले टूट गया था और फिर चुनाव के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनाने के लिए पुन: एकजुट हुआ। राउत ने बताया कि बाल ठाकरे देश में क्षेत्रीय पहचान की राजनीति के पुरोधा हैं। बाला साहेब ने ही 50 साल पहले क्षेत्रीय पहचान की राजनीति की जरूरत को समझा और पिछले दो दशक से देश की राजनीति क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं और पहचान से संचालित है। उन्होंने कहा कि शिवसेना अपने अस्तित्व के 50 वषरें का जश्न मनाने की तैयारी कर रही है और यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के कगार पर है।

Trending news