उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, केवल गायों-बैलों को मारने पर पाबंदी क्यों?
Advertisement

उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, केवल गायों-बैलों को मारने पर पाबंदी क्यों?

बंबई उच्च न्यायालय ने राज्य के बाहर से गौमांस के आयात पर अनुमति के संबंध में एक लाइसेंस नीति पर विचार करते हुए सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि पशुवध पर पाबंदी में उसने बकरियों जैसे पशुओं को क्यों नहीं शामिल किया है।

उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, केवल गायों-बैलों को मारने पर पाबंदी क्यों?

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने राज्य के बाहर से गौमांस के आयात पर अनुमति के संबंध में एक लाइसेंस नीति पर विचार करते हुए सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि पशुवध पर पाबंदी में उसने बकरियों जैसे पशुओं को क्यों नहीं शामिल किया है।

न्यायमूर्ति वी एम कनाडे और न्यायमूर्ति ए आर जोशी की खंडपीठ हाल ही में संशोधित महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम की धारा 5 के तहत एक प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। यह प्रावधान गायों और बैलों जैसे पशुओं के मांस को रखने और इनके सेवन पर पाबंदी से जुड़ा है।

याचिकाओं के अनुसार अगर महाराष्ट्र के बाहर इन पशुओं को मारा जाता है तो उनके मांस को राज्य में आने की अनुमति देनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘प्रदेश सरकार ने केवल गायों, बैलों और सांड़ों पर ही पाबंदी क्यों लगाई है? बकरी जैसे अन्य पशुओं के बारे में क्या?’इस पर महाधिवक्ता सुनील मनोहर ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘यह केवल शुरूआत है। हम अन्य पशुओं को मारने पर भी पाबंदी लगाने पर विचार कर सकते हैं। फिलहाल सरकार को लगता है कि गायों, बैलों और सांड़ों को बचाना जरूरी है।’अदालत ने सरकार को एक लाइसेंस नीति का सुझाव दिया जिसके माध्यम से राज्य के बाहर काटे गये पशुओं के मांस के आयात की इजाजत दी जा सके।

न्यायमूर्ति कनाडे ने कहा, ‘कानून की धारा 5 (डी) को चुनौती दी गयी है, जिसमें राज्य के बाहर पशुओं के वध पर पाबंदी नहीं है। तो किसी व्यक्ति को राज्य के बाहर से आयातित गौमांस रखने या खाने से क्यों रोका जाए? परोक्ष रूप से आप राज्य के बाहर भी पशुओं के वध को रोक रहे हैं।’ एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील ए चिनॉय ने दलील दी कि कानून की धारा 5 (डी) मनमाने तरीके वाली है और नागरिकों के बुनियादी अधिकारों के खिलाफ है और यदि कानून का उद्देश्य महाराष्ट्र में मवेशियों का संरक्षण करना है तो मांस के आयात की अनुमति मिलनी चाहिए।

हालांकि महाधिवक्ता ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा, ‘राज्य सरकार यह कैसे कह सकती है कि महाराष्ट्र में पशुवध क्रूरता है लेकिन राज्य के बाहर ऐसा किया जा सकता है। यह भी क्रूरता ही कहलाएगा। संयोग से कानून आयात पर भी पाबंदी लगाता है।’पीठ ने सरकार को याचिकाओं के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की।

Trending news