स्वच्छता का लक्ष्य पाना है, तो बापू के इन विचारों को होगा अपनाना
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स्वच्छता का लक्ष्य पाना है, तो बापू के इन विचारों को होगा अपनाना

आज अगर स्वच्छता अभियान की सफलता सुनिश्चित करनी है, तो गांधी जी के इन विचारों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए . 

महात्मा गांधी    (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश भर में सोमवार यानि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजघाट पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी. गांधी जी स्वच्छता को सर्वोपरि मानते थे यही वजह है कि उनके नाम पर पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की.  गांवों की स्वच्छता के संदर्भ सार्वजनिक रूप से गांधी जी ने पहला भाषण 14 फरवरी 1916 को मिशनरी सम्मेलन के दौरान दिया था. आज अगर स्वच्छता अभियान की सफलता सुनिश्चित करनी है, तो गांधी जी के इन विचारों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए . 

  1. बापू ने दशकों पहले ही स्वच्छता के बारे में कर दिया था आगाह 
  2. नदियों की स्वच्छता के बारे में गांधी जी ने कहा था 
  3. 1916 में दिया था स्वच्छता के बारे में पहला सार्वजनिक भाषण

आंतरिक स्वच्छता पहली वस्तु है, जिसे पढ़ाया जाना चाहिए. बाकी बातें इसे पढ़ाने के बाद ही लागू की जानी चाहिए.

यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है. और यदि वह स्वस्थ नहीं है तो स्वस्थ मनोदशा के साथ नहीं रह पाएगा. स्वस्थ मनोदशा से ही स्वस्थ चरित्र का विकास होगा.

यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वच्छता के साथ दूसरों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील नहीं है तो ऐसी स्वच्छता बेईमानी है. उदाहरण के लिए इसे अपना घर साफ कर कूड़ा दूसरे घर के बाहर फेंक देने के रुप में देखा जा सकता है. अगर सभी लोग ऐसा करने लगें, तो ऐसे में तथाकथित स्वच्छ लोग अस्वच्छ वातावरण तथा अस्वच्छ समाज का ही निर्माण करेंगे. 

हम अपने घरों से गंदगी हटाने में विश्वास करते हैं. लेकिन समाज की परवाह किए बगैर इसे गली में फेंकने में विश्वास करते हैं. हम व्यक्तिगत रूप से साफ-सुथरे रहते हैं. परंतु राष्ट्र के, समाज के सदस्य के तौर पर नहीं. जिसमें कोई व्यक्ति छोटा-सा अंश होता है. यही कारण है कि हम अपने घर के दरवाजों पर इतनी अधिक गंदगी और कूड़ा-कचड़ा पड़ा हुआ पाते हैं. हमारे आस-पास कोई अजनबी अथवा बाहरी लोग गंदगी फैलाने नहीं आते हैं. ये हम ही हैं जो अपने आस-पास रहते हैं.

नदियां हमारे देश की नाड़ियों की तरह हैं. यदि हम उन्हें गंदा करना जारी रखेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी नदियां जहरीली हो जाएंगी. और अगर ऐसा हुआ तो हमारी सभ्यता नष्ट हो जाएगी. 

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