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नई दिल्ली : भारतीय सेना के विशेष बल की ओर से मंगलवार को म्यांमार की सीमा में घुसकर किए गए हमले से जुड़ी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वोत्तर के 38 उग्रवादियों को मार गिराया गया जबकि सात अन्य घायल हुए।
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा कि मणिपुर के चंदेल क्षेत्र में चार जून को घात लगाकर हमले में 18 जवानों की मौत के कुछ घंटों बाद अपनी तरह के पहले अभियान की योजना बनाई गई और सात जून की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश से लौटने के बाद इस योजना पर उनकी मंजूरी ली गई। सूत्रों ने आज यहां कहा कि चार जून को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत दोभाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग तथा अन्य की उपस्थिति में पहले यह चर्चा हुई कि उग्रवादी शिविर पर अगले ही दिन हमला होना चाहिए।
हालांकि सेना प्रमुख ने इतने कम समय में हमला करने में अपनी अक्षमता जताई। आमतौर पर इस तरह का अभियान 72 घंटों के अंदर पूरा किया जाता है लेकिन यह फैसला किया गया कि हमला जल्द से जल्द होगा। इसके बाद, शीर्ष सुरक्षा प्रतिष्ठान ने फैसला किया कि हमला सोमवार को किया जाए और जनरल सुहाग से तैयारियां पूरी करने के लिए कहा गया।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस फैसले के बारे में बताया गया।
बैठक में सेना के विशेष बल की ओर से जमीनी हमले के साथ सुखोई और मिग 29 लड़ाकू विमानों से हवाई हमले के विकल्पों पर भी बात हुई। हालांकि इस विकल्प को ठुकरा दिया गया क्योंकि हवाई हमले में क्षति की संभावना ज्यादा रहती है। जब हमले की योजना को अंतिम रूप दिया गया, प्रधानमंत्री बांग्लादेश में थे और अभियान के सभी पहलुओं से उन्हें अवगत कराना जरूरी था। इसलिए हमले को एक दिन और टाला गया तथा मंगलवार की सुबह के लिए तय किया गया। प्रधानमंत्री के रविवार की रात बांग्लादेश से लौटने पर उन्हें अभियान के बारे में बताया गया और उनकी अंतिम मंजूरी ली गई। इस बीच, सेना प्रमुख ने मणिपुर का दौरा किया।
सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात को विशेष बल के जवानों को म्यांमार की सीमा के अंदर उग्रवादियों के शिविरों के करीब विमान से उतारा गया और हमला मंगलवार को तीन बजे शुरू हुआ। सूत्रों ने कहा कि फिलहाल जमीनी रिपोर्ट के अनुसार, 38 उग्रवादी मारे गए जबकि सात अन्य हमले में घायल हुए।