बिचौलियों और रक्षा मंत्रालय के गठजोड़ को तोड़ दिया है : पर्रिकर
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बिचौलियों और रक्षा मंत्रालय के गठजोड़ को तोड़ दिया है : पर्रिकर

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कहा कि बिचौलियों, हथियार एजेंट और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के बीच का गठजोड़ टूट गया है। पर्रिकर ने इसे राजग सरकार की ‘सबसे बड़ी उपलब्धियों’ में से एक करार दिया। पर्रिकर ने यह भी जोर देकर कहा कि उन्हें विरासत में एक ऐसा मंत्रालय मिला था जिसके विभाग में ‘भय और जड़ मानसिकता’ व्याप्त थी जहां कोई भी कोई निर्णय करने को तैयार नहीं था और उस व्यवस्था को बदलना एक चुनौती थी।

बिचौलियों और रक्षा मंत्रालय के गठजोड़ को तोड़ दिया है : पर्रिकर

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कहा कि बिचौलियों, हथियार एजेंट और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के बीच का गठजोड़ टूट गया है। पर्रिकर ने इसे राजग सरकार की ‘सबसे बड़ी उपलब्धियों’ में से एक करार दिया। पर्रिकर ने यह भी जोर देकर कहा कि उन्हें विरासत में एक ऐसा मंत्रालय मिला था जिसके विभाग में ‘भय और जड़ मानसिकता’ व्याप्त थी जहां कोई भी कोई निर्णय करने को तैयार नहीं था और उस व्यवस्था को बदलना एक चुनौती थी।

उन्होंने अपनी अन्य उपलब्धियों में पारदर्शिता, त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया और व्यापार करने में आसानी को गिनाया।

पर्रिकर ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘हमारे कार्यकाल में हमने उस गठजोड़ को तोड़ दिया है जो बिचौलियों और हथियार एजेंटों का रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ था।’ उन्होंने कहा कि चीजें इतनी बदल गई हैं कि अधिकारियों को किसी फाइल पर नकारात्मक टिप्पणी लगाने से भय नहीं होता जिससे वे पहले बचते थे।

उन्होंने कहा, ‘उपलब्धि का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु मानसिकता में परिवर्तन है। मंत्रालय भय और जड़ मानसिकता में फंसा हुआ था। मैं भय के इस बाधा को तोड़कर एक विश्वास का माहौल निर्मित करने में सफल हुआ हूं, पूर्ण नहीं तो आंशिक तो जरूर जो कि मंत्रालय के लिए आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त रूप से अच्छा है।’ पर्रिकर ने नवम्बर 2014 में वित्त मंत्री अरूण जेटली से मंत्रालय का प्रभार संभाला था। पर्रिकर ने अपने मंत्रालय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात की जिसमें राफेल सौदा, अगस्तावेस्टलैंड घोटाला और खरीद कार्यक्रम शामिल थे।

पर्रिकर ने अगस्तावेस्टलैंड जांच पर कहा कि जांचकर्ता पत्रकारों सहित उन लोगों के लगभग करीब पहुंच गए हैं जो वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले से जुड़े हुए हैं तथा प्रयास सबूत के साथ धनराशि के तार का पता लगाना है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय में कई यह जानते थे कि यह सुनिश्चित करने के लिए ‘हेराफेरी’ हो रही है कि वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे के लिए इतालवी कंपनी चुनी जाए।

उन्होंने कहा, ‘उनमें गलत कृत्यों के बारे में बोलने का साहस नहीं था क्योंकि सौदे से संबंधित प्रमुख नौकरशाह सत्ता के केंद्र के बहुत नजदीक थे। वह नजदीकी सम्पर्क इस तथ्य से साबित होता है कि उनमें से अधिकतर को सेवानिवृत्ति या उनका कार्य पूरा होने के बाद प्रतिष्ठित पद दिये गए।’ उन्होंने कहा कि सौदे से जुड़े छह लोगों को पुरस्कृत करने वाले पद दिये गए।

पर्रिकर ने कहा कि ये लोग कृपापात्र व्यक्ति हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘कोई भी मुझे प्रभावित नहीं कर सकता।’ उन्होंने कहा उनका निर्णय गुण-दोष और उस पर आधारित होता है जो फाइल पर होता है। उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के आधार पर उस पर निर्णय करूंगा। मेरा निर्णय अधिकतर मौकों पर ऐसा होता है जो सरकार के लिए लाभदायक होता है। एक या दो बार त्रुटिपूर्ण निर्णय हो सकते हैं लेकिन फैसले उपलब्ध सूचना और उसकी व्याख्या करने की मेरी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के आधार पर होते हैं।’ 

पर्रिकर ने कहा कि वह किसी उपकरण को केवल इसलिए नहीं खरीदेंगे कि क्योंकि जिसे वह जानते हैं उसने उसकी सिफारिश की है और वह किसी को भी केवल इसलिए नहीं खारिज कर देंगे क्योंकि किसी ने उसके लिए जोर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर यदि वह अच्छा उत्पाद है और कीमत अच्छी है मैं उस पर विचार करूंगा। इसीलिए मुझमें यह कहने का साहस है कि बोफोर्स अच्छी तोप है। उसमें भ्रष्टाचार खराब था। जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया उन्हें सजा होनी चाहिए, तोप को नहीं।’ 

पर्रिकर ने इसकी भी आलोचना की कि मंत्रालय ने बोफोर्स विवाद के बाद एक भी तोप नहीं खरीदी है और उन्हें इसे आगे बढ़ाना पड़ा क्योंकि यह तीन दशक से अधिक समय से फंसा हुआ था। उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया कि स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस में 32 वर्ष क्यों लगे।

उन्होंने कहा, ‘विमान की परीक्षण उड़ान 2001 में वाजपेयी के शासनकाल में हुई थी। उसके बाद संप्रग के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान रक्षा मंत्री ने यह सुनिश्चित करने के लिए कितनी बैठकें की कि एलसीए का उत्पादन शुरू हो और उसे वायुसेना में शामिल किया जाए? मैंने वह किया। मैंने इस मुद्दे पर करीब 18 बैठकें की। मैंने दोनों को एकसाथ आगे बढ़ाया। एयरोनाटिकल डेवलप्मेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड से जरूरी जो हो वह करने के लिए कहा और वायुसेना से कहा कि वह अतर्कसंगत न हो।’ 

इन अटकलों के बारे में पूछे जाने पर कि सरकार के पास वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले में पत्रकारों के खिलाफ सबूत हैं, उन्होंने कहा, ‘किसने कहा हमारे पास सबूत हैं? मैं यह नहीं कह रहा कि कोई सबूत नहीं हैं लेकिन ऐसे मामलों में जरूरी सबूत निर्णायक होने चाहिए। उन्हें (जांच एजेंसियों) जोड़ने दीजिये। कभी-कभी आपको सबूत मिल जाता है लेकिन उसे किसी विशेष तरीके से जोड़ा नहीं जा सकता। उन्हें अपना काम करने दीजिये। वे धनराशि के तार का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह आसान नहीं है।’ 

पर्रिकर ने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जिनके विदेश यात्रा के टिकट बिचौलिये किश्चियन मिशेल के जरिये बुक कराये गये। उन्होंने कहा, ‘यह साबित करना होगा कि ऐसा एक विशेष कारण से किया गया। चलिये मान लेते हैं कि एक एयर शो है और कोई टिकट भेजता है। इसे भ्रष्टाचार के तौर पर साबित नहीं किया जा सकता। कई बार जब गोवा में विवाह होते हैं, मेजबान मेहमानों को टिकट भेज देते हैं। लेकिन ये भ्रष्टाचार नहीं है क्योंकि वह चाहता हैं कि वे वहां आयें लेकिन यदि ऐसा अक्सर होता है। तब निश्चित तौर पर ये एक विशेष अनुग्रह हो सकता है। तब ये भ्रष्टाचार के दायरे में जाना शुरू हो जाता है।’ 

उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को खुली छूट दी गई है। रक्षा मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा कि यह अभी तक अच्छा रहा है।

उन्होंने कहा कि भूतपूर्व सैन्यकर्मियों के कल्याण के लिए कई सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। इसके अलावा अभियानों में शामिल सशस्त्र बलों का भी ‘मनोबल बढ़ा’ है।

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