रक्षा खरीद में कंपनियों की ब्लैकलिस्टिंग बाधा नहीं : पर्रिकर
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रक्षा खरीद में कंपनियों की ब्लैकलिस्टिंग बाधा नहीं : पर्रिकर

काली सूची में डालने यानी ब्लैकलिस्ट करने की नई नीति के तहत केंद्र सरकार भ्रष्ट रक्षा कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी लेकिन इससे किसी अन्य कंपनी के उत्पादों को खरीदने में भारत को कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी, भले ही काली सूची में डाली गई किसी कंपनी की ओर से निर्मित उपकरण या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल इसमें किया गया हो।

रक्षा खरीद में कंपनियों की ब्लैकलिस्टिंग बाधा नहीं : पर्रिकर

नई दिल्ली : काली सूची में डालने यानी ब्लैकलिस्ट करने की नई नीति के तहत केंद्र सरकार भ्रष्ट रक्षा कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी लेकिन इससे किसी अन्य कंपनी के उत्पादों को खरीदने में भारत को कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी, भले ही काली सूची में डाली गई किसी कंपनी की ओर से निर्मित उपकरण या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल इसमें किया गया हो।

यह सरकार की ओर से किया जा रहा है जो ब्लैकलिस्टिंग नीति को अंतिम रूप देने में जुटी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियामक ढांचा खरीद की प्रक्रिया से प्रभावित नहीं हो। पर्रिकर ने यहां बताया, ‘वैश्विक तौर पर कई उत्पादों में विभिन्न कंपनियों के उपकरण लगे होते हैं। यदि कोई कंपनी ब्लैकलिस्ट की हुई है तो उसे कार्रवाई का सामना करना होगा जबकि हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि इस नीति से किसी ऐसी कंपनी से होने वाली खरीद प्रभावित न हो जिसका ब्लैकलिस्ट की हुई कंपनी से कोई संबंध नहीं है।’

विदेशी सैन्य बिक्री माध्यम के तहत 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर में अमेरिका से एम777 अल्ट्रा लाइट होवित्जरों की प्रस्तावित खरीद सरकार के रूख को दर्शाती है। इन बंदूकों में विवादित इतालवी कंपनी फिनमेकेनिका की एक सहयोगी कंपनी की अग्नि नियंत्रण प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले का मामला सामने आने के बाद सरकार पहले ही फिनमेकेनिका और अगस्तावेस्टलैंड सहित इसकी सभी सहयोगी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।

पर्रिकर ने इससे पहले स्पष्ट किया था कि उनके लिए ‘कोई रियायत नहीं’ होगी जिन्हें पहले ही ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है और ‘रिश्वत देने वालों’ को सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभी ब्लैकलिस्ट कंपनियों को रक्षा मंत्रालय की एक सतर्कता समिति के समक्ष अपील करने की इजाजत मिलेगी ताकि वे नई नीति के तहत काली सूची से हट सकें। पर्रिकर ने कहा कि रक्षा आपूर्तिकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट करना भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का एकमात्र समाधान नहीं है। उन्होंने दोषी कंपनियों के खिलाफ भारी जुर्माना लगाने के भी संकेत दिए।

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