संसद में 'असहिष्णुता' पर विपक्ष के वार पर पलटवार को तैयार है मोदी सरकार
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संसद में 'असहिष्णुता' पर विपक्ष के वार पर पलटवार को तैयार है मोदी सरकार

सरकार संसद में सोमवार से शुरू हो रहे मुश्किल भरे सप्ताह का सामना करने के लिए कमर कस रही है क्योंकि दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने समाज में 'असहिष्णुता' पर बहस के लिए नोटिस दिए हैं और कुछ मंत्रियों की कथित उकसावे वाली टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।

फाइल फोटो

नई दिल्ली : सरकार संसद में सोमवार से शुरू हो रहे मुश्किल भरे सप्ताह का सामना करने के लिए कमर कस रही है क्योंकि दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने समाज में 'असहिष्णुता' पर बहस के लिए नोटिस दिए हैं और कुछ मंत्रियों की कथित उकसावे वाली टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।

राज्यसभा में कांग्रेस और जेडीयू ने नियम 267 के तहत कामकाज निलंबित कर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। लोकसभा में कांग्रेस और सीपीएम ने नियम 193 के तहत चर्चा कराने के लिए नोटिए दिए हैं जिसमें मतविभाजन नहीं कराया जाता या कामकाज निलंबित करने की जरूरत नहीं होती।

लोकसभा में यह मामला सोमवार के लिए सूचीबद्ध है। जबकि राज्यसभा में दलित नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर आयोजित समारोहों के तहत 'भारत के संविधान के लिए प्रतिबद्धता' पर 27 नवंबर को वित्त मंत्री अरूण जेटली की ओर से शुरू की गई एक बहस चल रही है जिसके संपन्न होने के बाद असहिष्णुता के मद्दे पर चर्चा के लिए हंगामा सप्ताह में किसी भी दिन हो सकता है।

संसद का शीतकालीन सत्र 26 नवंबर से शुरू हुआ है और शुरुआती दो दिन कोई हंगामा नहीं हुआ क्योंकि राजनीतिक दल अंबेडकर की जयंती पर संविधान पर हो रही चर्चा में कोई बाधा नहीं डालना चाहते। हालांकि विपक्ष ने सरकार पर कथित बढ़ती असहिष्णुता और सांप्रदायिक हिंसा को लेकर हमला बोला है।

एक विपक्षी दल के एक नेता ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध पर कहा, 'असली टकराव तो इस हफ्ते होगा जब सरकार सदन के पटल पर अपने कामकाज का एजेंडा रखेगी। कांग्रेस, जेडीयू, सीपीएम, सीपीआई और तृणमूल कांग्रेस ने अलग-अलग नोटिस दिए हैं जिनमें मत विभाजन के बिना चर्चा करने, सदन की ओर से एक प्रस्ताव पारित करने और कथित उकसावे वाले भाषण देने के कारण कुछ मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

उन्होंने बताया 'इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करता है कि विपक्ष के मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया कैसी रहती है।' कांग्रेस के नोटिस सदन में विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा की ओर से दिए गए हैं और पार्टी की योजना 'भय का माहौल पैदा करने के लिए कथित अभियान' चलाए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोलने की है। पार्टी प्रख्यात लेखकों और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा अवॉर्ड लौटाए जाने का मुद्दा भी उठाएगी।

शर्मा के नोटिस में सदन की ओर से एक प्रस्ताव पारित कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले की निंदा करने की मांग भी की गई है। जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत एक अलग नोटिस दिया है। पार्टी ने कथित उकसावे वाली टिप्पणियों के लिए पांच केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे मांगने का फैसला भी किया है।

त्यागी ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी को ऐसी उकसाने वाले टिप्पणियां करने वाले लोगों और अपनी कैबिनेट के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई के अपने इरादे का संकेत देना चाहिए। हमने नोटिस दिया है और इन मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं।' एक ट्वीट में जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, 'प्रधानमंत्री को अपने भाषण में पूरे देश को आश्वासन देना चाहिए कि अब कोई सांप्रदायिक हिंसा नहीं होगी जो एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से तेज हो रही है।

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने भी राज्यसभा में एक नोटिस दे कर एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित कर 'असहिष्णुता' की घटनाओं की निंदा करने की मांग की है और सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ऐसा फिर न हो। लोकसभा में सीपीएम सदस्य पी करूणाकरन और कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल के नोटिस सोमवार को मुद्दे पर चर्चा के लिए सूचीबद्ध हैं।

विपक्ष पिछले कुछ समय से असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है। 'बढ़ती असहिष्णुता' पर अभिनेता आमिर खान की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में गत 25 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर यह कहते हुए शीघ्र बहस की वकालत की है कि लेखकों, कलाकारों और फिल्मी हस्तियों के अवॉर्ड लौटाने को हल्के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।

सीपीएम सहित छह वाम दल भी बीजेपी और संघ परिवार के संगठनों पर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। ज्यादातर विपक्षी दलों की इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने की तैयारी के बीच संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार 'बढ़ती असहिष्णुता' की उनकी धारणा से सहमत नहीं है लेकिन वह इस मुद्दे पर समुचित तरीके से चर्चा के संबंध में विपक्ष के साथ चलना चाहती है। नायडू ने यह भी तर्क दिया कि ऐसी घटनाओं के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं क्योंकि कानून और व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है।

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