केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी बोले, 'नसीरुद्दीन शाह के बच्चों को डरने की जरूरत नहीं'
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केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी बोले, 'नसीरुद्दीन शाह के बच्चों को डरने की जरूरत नहीं'

नकवी ने कहा,‘उनको बच्चे (शाह के) डरने की जरूरत नहीं है. देश संविधान के आधार पर आगे बढ़ रहा है और एक लोकतांत्रिक देश में किसी को डरने की जरूरत नहीं है.’ 

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (फाइल फोटो)

मुंबई: अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को लेकर विवादास्पद टिप्पणी पर केन्द्रीय मंत्री मुख्तार नकवी ने शनिवार को कहा कि देश के डीएनए में सहिष्णुता होने के कारण वरिष्ठ अभिनेता के बच्चे को डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि तिल का ताड़ बनाया जा रहा है.

नकवी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि उनकी भावनाएं सही हो सकती हैं लेकिन उनके शब्दों का संभवत: गलत मतलब निकाला गया और तिल का ताड़ बनाया गया. भारत एक सहिष्णु देश है. सहिष्णुता और भाईचारा देश के डीएनए में है. इस मजबूत विरासत को नष्ट करने में कोई भी सफल नहीं हुआ.’

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा,‘उनको बच्चे (शाह के) डरने की जरूरत नहीं है. देश संविधान के आधार पर आगे बढ़ रहा है और एक लोकतांत्रिक देश में किसी को डरने की जरूरत नहीं है.’ 

गौरतलब है कि शाह इस माह की शुरुआत में बुलंदशहर में एक पुलिसकर्मी की हत्या के संदर्भ में अपनी टिप्पणी को लेकर एक बड़े विवाद में आ गए.

क्या कहा था नसीरुद्दीन शाह ने? 
बता दें नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि कि ‘जहर फैलाया जा चुका है’ और अब इसे रोक पाना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, ‘इस जिन्न को वापस बोतल में बंद करना मुश्किल होगा. जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है. कई क्षेत्रों में हम यह देख रहे हैं कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की मौत से ज्यादा तवज्जो दी गई.' 

शाह ने कहा था, ‘मुझे बचपन में धार्मिक शिक्षा मिली थी. रत्ना (अभिनेता की पत्नी) एक प्रगतिशील घर की थी और उसे ऐसा कुछ नहीं मिला. और हमने तय किया कि हम अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं देंगे क्योंकि मेरा मानना है कि किसी के अच्छे होने या बुरे होने का धर्म से कोई लेना देना नहीं है.' 

शाह ने कहा, ‘हमने अपने बच्चों को अच्छे और बुरे में भेद बताया, जिसमें हमारा विश्वास है. मैंने उन्हें कुरान शरीफ की कुछ आयतें पढ़ना भी सिखाया क्योंकि मेरा मानना है कि इससे उच्चारण स्पष्ट होता है. यह वैसे ही जैसे रामायण या महाभारत को पढ़ने से किसी का उच्चारण सुधरता है.'

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने बच्चों के लिए चिंतित हूं क्योंकि कल को अगर भीड़ उन्हें घेरकर पूछती है, ‘तुम हिंदू हो या मुसलमान?’ तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं होगा. यह मुझे चिंतित करता है और मुझे नहीं लगता कि इन हालात में जल्द कोई सुधार होगा.’

शाह ने कहा, ‘ये सभी चीजें मुझे डराती नहीं हैं बल्कि गुस्सा दिलाती हैं और मैं मानता हूं कि सही सोचने वाले हर व्यक्ति को गुस्सा होना चाहिए न कि डरना चाहिए. यह हमारा घर है और किसकी हिम्मत है जो हमें हमारे घर से निकाले.' 

(इनपुट - भाषा)

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