मुंबई की लाइफलाइन से बदलहाली का दौर देख रही है BEST
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मुंबई की लाइफलाइन से बदलहाली का दौर देख रही है BEST

BEST - मतलब होता है कि वृहंद मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट. बेस्ट की बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी तो फायदे में हैं, लेकिन बस की सेवा खटारा हो चुकी है ये कहना गलत नही होगा.

फाइल फोटो

मुंबई(अमित त्रिपाठी) : BEST - मतलब होता है कि वृहंद मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट. बेस्ट की बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी तो फायदे में हैं, लेकिन बस की सेवा खटारा हो चुकी है ये कहना गलत नही होगा. एक समय मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन कही जाने वाली बेस्ट की बसे हड़ताल के कारण सड़कों से नदारत हैं. बेस्ट के कर्मचारियो की मांग है कि बेस्ट के बजट को बीएमसी के बजट मे शामिल किया जाए जिससे उनके फंड़ की कमी मे परेशान बेस्ट को राहत मिले इसके साथ ही उसकी कुछ और दूसरी मांगे हैं. लेकिन जरा उन कारणो पर नजर डालते है कि जिस कारण से बेस्ट के आज इस हालत मे पहुंचना पड़ा.

रोजाना 25 लाख यात्री करते हैं सवारी
एक समय था जब मुंबई की सड़कों पर बेस्ट की बसों का राज चलता था बेस्ट की बसें रोजाना 35-40 लाख यात्रियों को लाने और ले जाने के काम करती थी लेकिन समय के साथ अपने को नहीं बदलने के कारण आज बेस्ट की बसों में रोजाना सिर्फ 25 लाख यात्री ही सफर कर पाते हैं. लगातार घट रही यात्रियों की संख्या के कारण बेस्ट की बसों को हर महीने हजारों रुपये का नुकसान हो रहा है.

आमदनी कम, खर्चा हो रहा है ज्यादा
एक समय बेस्ट की पास 4000 से ज्यादा बसे सड़कों पर होती थी लेकिन आज वो संख्या 3000 तक पहुंच गई है. इन बसो में सैकड़ो की संख्या मे ऐसी बसें है जो खटारा हो चुकी हैं जिनसे आमदनी कम और खर्चा ज्यादा हो रहा है, लेकिन किसी प्रशासन मे बैठों लोगों को कोई परवाह नहीं

बेस्ट के पास हैं 33 हजार कर्मचारी
बेस्ट के कर्मचारियों की संख्या 33 हजार बताई जाती है जो बेस्ट की मांग से कही ज्यादा हैं. ऐसे में कमाई से ज्यादा खर्च हैं. इसके साथ ही बेस्ट के कर्मचारियों की काम को लेकर अन प्रोफेशनल होना यानि काम कम राजनीति ज्यादा है. बेस्ट के अधिकारियों का कहना है कि 10-15 प्रतिशत बेस्ट के कर्मचारी रोजाना काम पर ही नहीं आते ऐसे में आप समझ सकते हैं बेस्ट के कर्मचारी अपने काम को लेकर कितने गंभीर हैं.

बेस्ट को लेकर कई सारे राजनीतिक फैंसले किए गए जैसे, स्टूडेट के लिए आधा टिकट, बुजुर्गो के लिए कम दाम मे टिकट, महिलाओं के लिए अलग सेवा. ये सब ऐसे निर्णय थे जो बदहाली मे चल रहे बेस्ट को और बदहाल बनाने का काम किया. इसके साथ कुछ और भी कारण है जैसे कुछ इलाको में टैक्सी वालो ने लोकल सेवा देनी शूरु कर दी जैसे एक टैक्सी मे एक साथ 4 लोगों को बैठना और सभी से 10-15 रुपये लेना. क्योंकि टैक्सी या आटो जल्दी भरते है इसलिए लोगो को बेस्ट की जहग उसे तरजीह देना शूरु कर दिया. इसके अलावा बेस्ट की बसे अगर जाम में ज्यादा देर तक फंसी होती है जबकि टैक्सी या आटो जल्द निकल जाते है ये भी एक कारण है लोगो ने बेस्ट की जहग टैक्सी या आटो को चुना.     

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