तीन तलाक पर कानून बनाने के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन कर रहा है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने देशभर की मुस्लिम महिलाओं को इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है.
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नई दिल्ली: तीन तलाक पर कानून बनाने के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन कर रहा है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने देशभर की मुस्लिम महिलाओं को इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है. AIMPLB के समर्थन में पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं. कुछ प्रोग्रेसिव मुस्लिम संगठनों ने लॉ बोर्ड के प्रदर्शन का विरोध भी किया है. उनका कहना है कि एक तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहता है कि, महिला नमाज नहीं पढ़ सकती हैं, लेकिन प्रदर्शन के लिए उन्हें सड़क पर उतारा जा रहा है. महिलाओं के प्रदर्शन को लेकर लॉ बोर्ड का कहना है कि, चूंकि यह मामला उनसे जुड़ा है, इसलिए जरूरी है कि वो भी अपने हक की लड़ाई लड़ें.
शाही इमाम ने AIMPLB को निशाने पर लिया
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रदर्शन के विरोध में दिल्ली के शाही इमाम, मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि लॉ बोर्ड अपना जुर्म छिपाने के लिए मुस्लिम महिलाओं का गलत इस्तेमाल कर रहा है. महिलाओं के प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि इससे नई बिद्दत का जन्म हो रहा है. शाही इमाम के इस बयान को लेकर देवबंदी उलेमाओं ने कहा कि यह जगजाहिर है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शाही इमाम के आपसी ताल्लुक ठीक नहीं है. महिलाओं के प्रदर्शन का सुन्नत और बिद्दत से कोई लेना-देना नहीं है. देवबंदी उलेमाओं ने कहा कि इस तरह मुस्लिम महिलाओं का सड़कों पर उतरना इस्लामिक इतिहास में अब तक नहीं हुआ है.
सरकार पर शरियत में हस्तक्षेत्र का आरोप
बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार तलाक-ए-बिद्दत को लेकर कानून लेकर आ रही है. ट्रिपल तलाक विधेयक को लोकसभा से मंजूरी भी मिल चुकी है. हालांकि, अभी तक इसे उच्च सदन (राज्यसभा) से मंजूरी नहीं मिली है. इस कानून को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का आरोप है कि सरकार कानून के नाम पर शरियत में हस्तक्षेप कर रही है. पर्सनल लॉ बोर्ड का यह भी आरोप है कि सरकार का मकसद कॉमन सिविल कोड थोपने की है, तीन तलाक पर कानून तो महज दिखावा है. तमाम विपक्षी दल भी तीन तलाक पर कानून के विरोध में है.
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत को माना अपराध
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत, मतलब एक साथ तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखा है. कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को गैर कानूनी माना और कानून बनाने की अपील की. तीन तलाक को लेकर जिस विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिली है, उसके मुताबिक एक बार में तीन तलाक देना गैर-कानूनी और अमान्य होगा. आरोप साबित होने के बाद पति को तीन साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा तलाक-ए-बिद्दत को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है.