केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली एक औपनिवेशिक मानसकिता का अनुकरण करती है और सरकार बदलते वक्त के साथ उपयुक्त शिक्षा प्रणाली को अपडेट करने की नयी नीति पर काम कर रही है.
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने रविवार (4 फरवरी) को कहा कि एक नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय द्वारा नियुक्त समिति 31 मार्च तक अपना रिपोर्ट सौंपेगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय रिपोर्ट पर चर्चा करेगा और इसके बाद समिति के सुझावों को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के लिए उसे पेश करेगा. इस मुद्दे पर सिंह ने कहा कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली एक औपनिवेशिक मानसकिता का अनुकरण करती है और सरकार बदलते वक्त के साथ उपयुक्त शिक्षा प्रणाली को अपडेट करने की नयी नीति पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि इस नीति पर विस्तृत चर्चा की जा रही है और यह चर्चा के आखिरी दौर में है. सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय असमानता और शिक्षा के वाणिज्यीकरण को नयी नीति के साथ दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा को सस्ता और आसानी सुलभ होने वाला बनाया जाएगा ताकि राष्ट्र इंजीनियर, डॉक्टर और वैज्ञानिक तैयार कर सके.
इसरो के पूर्व प्रमुख के नेतृत्व में समिति का गठन
मौजूदा राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली 1986 में बनाई गई थी और 1992 में इसमें संशोधन किया गया था. इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तुरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति का गठन मंत्रालय ने पिछले साल जून में किया था. उनके अलावा समिति में आठ सदस्य हैं. केंद्रीय पर्यटन मंत्री के.जी. अल्फोंस व फील्ड्स मेडल विजेता गणितज्ञ मंजुल भार्गव इस समिति के सदस्य हैं.
नीति का लक्ष्य देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
पिछले साल 23 अक्टूबर को तिरुअनंतपुरम में 'राष्ट्रीय अकादमी सम्मेलन' का उद्घाटन करते हुए डॉ. सिंह ने कहा था कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य देश में औपनिवेशिक प्रभाव वाली शिक्षा प्रणाली में संशोधन करना है.
डॉ. सिंह ने कहा कि शिक्षा प्रणाली की कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं- प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, उच्च शिक्षा के खर्च में कमी लाना तथा इसे लोगों के लिए सुलभ बनाना. उन्होंने कहा कि कौशल विकास सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है.
देश में उच्च शिक्षा तक पहुंच मात्र 25.6 प्रतिशत
उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा विदेश जाने में कमी लाने के लिए डॉ. सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि देश में उच्च शिक्षा तक पहुंच मात्र 25.6 प्रतिशत है, जबकि यह अमेरिका में 66 प्रतिशत, जर्मनी में 80 प्रतिशत और चीन में 60 प्रतिशत है. देश की महंगी उच्च शिक्षा का जिक्र करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार होना चाहिए और इसे कम खर्चीला बनाया जाना चाहिए.