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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ गुरुवार को वर्ष 2002 दंगा प्रभावित अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में एक संग्रहालय के नाम पर कोष के कथित गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी।
पीठ में बदलाव के लिए कोई कारण नहीं बताया गया है। यह मामला न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ से न्यायमूर्ति दीपक मिश्र एवं न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ को स्थानान्तरित किया गया। पहली पीठ ने दंपति की गिरफ्तारी पर 13 फरवरी को छह दिन के लिए रोक लगा दी थी।
गौर हो कि करीब एक हफ्ते पहले, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के 2002 के दंगों में तबाह हुयी अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में संग्रहालय बनाने के उद्देश्य से एकत्रित धन के कथित गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक की अवधि 19 फरवरी तक बढ़ा दी थी। करीब आधे घंटे तक चली सुनवाई के दौरान शुरू में न्यायालय ने सीतलवाड दंपति को ‘आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत लेने’ का सुझाव दिया लेकिन बाद में उसे 19 फरवरी तक के लिये अंतरिम राहत मिल गई थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस दंपति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कई सवाल किये और बाद में स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। न्यायालय ने इस मामले में ‘राजनीति’ नहीं लाने की भी उन्हें चेतावनी दी।
न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति रमण की पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि सीतलवाड और उनके पति के खिलाफ आरोप ‘गंभीर’ हैं और यह प्राथमिकी निरस्त करने तक का मामला नहीं है।