उत्तराखंड में गौरीकुंड जैसे प्राकृतिक पानी के स्रोतों के संरक्षण की मांग को लेकर दायर अर्जी पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण( एनजीटी) ने केंद्र, राज्य सरकार एवं अन्य से जवाब दाखिल करने के लिए कहा.
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नई दिल्ली: उत्तराखंड में गौरीकुंड जैसे प्राकृतिक पानी के स्रोतों के संरक्षण की मांग को लेकर दायर अर्जी पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण( एनजीटी) ने केंद्र, राज्य सरकार एवं अन्य से जवाब दाखिल करने के लिए कहा. न्यायमूर्ति जवाद रहीम के नेतृत्व वाली एक पीठ ने जल संसाधन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण्, राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण एवं अन्य को नोटिस जारी करके उनसे छह अपैल से पहले जवाब दाखिल करने के लिए कहा.
अधिकरण उत्तराखंड की निवासी प्रतिभा नैथानी की ओर से दायर एक अर्जी पर सुनवायी कर रहा था जिसमें राज्य में स्थित गरम पानी के स्रोतों के संरक्षण के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी.हरित अधिकरण ने गत वर्ष इसी याचिकाकर्ता की ओर से दायर एक अर्जी का निस्तारण किया था और राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि उसकी ओर से उठाये गए मुद्दों पर गौर करे और प्राकृतिक पानी के स्रोतों को बचाने और उनके संरक्षण के लिए काम करे.
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अर्जी में कहा गया, ‘‘ इस अधिकरण द्वारा सात नवंबर 2017 की तिथि वाले निर्देशों के बावजूद याचिकाकर्ता को यह ज्ञात हुआ है कि प्रतिवादियों और विशेष रूप से उत्तराखंड सरकार ने प्राकृतिक पानी के स्रोतों के संरक्षण के लिए कुछ भी नहीं किया है.’’ गौरीकुंड एक तीर्थस्थल है और उत्तराखंड में प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर तक चढाई के लिए आधार शिविर है.