निर्भया गैंगरेप: स्वाति मालीवाल बोलीं, बलात्कारियों को छह महीने के भीतर हो फांसी
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निर्भया गैंगरेप: स्वाति मालीवाल बोलीं, बलात्कारियों को छह महीने के भीतर हो फांसी

डीसीडब्ल्यू की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री से ऐसा कानून लाने को कहा जिससे सुनिश्चित हो कि नाबालिगों के साथ बलात्कार के दोषियों को छह महीने के भीतर मौत की सजा हो जाए.

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने 16 दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले में दोषियों को सजा देने में हुई ‘‘देरी’’ पर दुख जताते हुए शनिवार (16 दिसंबर) को दावा किया कि लंबी चलने वाली कानूनी प्रक्रिया से अपराधियों को लगता है कि वह इस तरह के बर्बर अपराधों के बाद सजा से बच जाएंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री से ऐसा कानून लाने को कहा जिससे सुनिश्चित हो कि नाबालिगों के साथ बलात्कार के दोषियों को छह महीने के भीतर मौत की सजा हो जाए.

  1. 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में 23 वर्षीय छात्रा के साथ दिल्ली में गैंगरेप किया गया.
  2. फिर उसे बस से बाहर फेंकने से पहले बुरी तरह जख्मी कर दिया था. 
  3. इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी.

पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था. वह अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही थी जब यह बर्बर घटना हुई. घटना के 13 दिन बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया.

मामले में गिरफ्तार किए गए छह लोगों में से एक राम सिंह ने मार्च, 2013 में जेल में फांसी लगा ली थी जबकि एक दूसरे व्यक्ति जो घटना के समय नाबालिग था, को उस साल अगस्त में दोषी करार दिया गया. उसे सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की सजा काटने के बाद पिछले साल रिहा कर दिया गया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर, 2013 में चार दूसरे लोगों - अक्षय, विनय शर्मा, पवन और मुकेश को दोषी करार दिया गया और मौत की सजा सुनायी गयी. उच्चतम न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा.

स्वाति ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘यह निर्भया की पांचवीं बरसी है और सच्चाई यह है कि इस देश में कुछ नहीं बदला है. हर दिन इस देश में लड़कियों एवं महिलाओं के साथ बर्बर रूप से बलात्कार हो रहा है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि शहर में फास्ट ट्रैक अदालतों की जरूरत है ताकि बलात्कारियों को तत्काल दंडित किया जा सके.

डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने फोरेंसिक विभाग की रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजने की व्यवस्था और पुलिस की जवाबदेही बेहतर करने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘व्यवस्था ने अपराधियों को यह विश्वास भर दिया है कि उन्हें लगता है कि वे महिलाओं या बच्चों के साथ किए गए अपराधों के लिए सजा से बच सकते हैं.

स्वाति ने पत्र में लिखा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि खुद निर्भया को इस देश में इंसाफ नहीं मिला. निर्भय की मां अब भी अपनी प्यारी बेटी के लिए न्याय सुनिश्चित करने की खातिर दर दर भटक रही है.’’ उन्होंने कहा कि कम से कम नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार को लेकर देश में ऐसे कानून होने चाहिए जिसके तहत इस तरह के बलात्कारियों को दंडित किया जा सके और छह महीने के भीतर मौत की सजा सुनायी जाए.

डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने प्रधानमंत्री से दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने की अपील की जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री, उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, पुलिस आयुक्त और डीसीडब्ल्यू के प्रतिनिधि सदस्य हों और जो महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों पर प्रभावशाली निर्णय ले. उन्होंने अब तक इस्तेमाल में नहीं लाए गए निर्भया कोष की तरफ प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाते हुए राज्यों को तत्काल धन हस्तांतरित करने की अपील की क्योंकि ऐसा ना होने पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम अपना महत्व खो देगा.

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