ओआरओपी: नहीं निकला हल, पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का किया आग्रह
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ओआरओपी: नहीं निकला हल, पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का किया आग्रह

केंद्र सरकार ने शनिवार रात कहा कि उसने प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों के साथ अपने मतभेदों को ‘बहुत कम किया है’, लेकिन सरकार ने वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के मुद्दे पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। दूसरी ओर, पूर्व सैनिकों का ओआरओपी की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन आज 76वें दिन में प्रवेश कर गया। पूर्व सैनिकों ने अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शनिवार रात कहा कि उसने प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों के साथ अपने मतभेदों को ‘बहुत कम किया है’, लेकिन सरकार ने वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के मुद्दे पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। दूसरी ओर, पूर्व सैनिकों का ओआरओपी की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन आज 76वें दिन में प्रवेश कर गया। पूर्व सैनिकों ने अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि पिछले कुछ दिनों में मतभेद बहुत कम हुए हैं...ओआरओपी को लागू करने वाले सिद्धांत के प्रति हम प्रतिबद्ध हैं पर इसे कुछ सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।’ उन्होंने ऐसी बढ़ती मांगों के खिलाफ आगाह भी किया जिन्हें ‘अर्थव्यवस्था वहन नहीं कर सकती।’ उन्होंने कहा कि पिछले सोमवार को जो कुछ हुआ वह संभवत: हर महीने होगा यदि हम सभी वित्तीय मानदंडों एवं राजकोषीय दूरदर्शिता को खारिज करते जाएं।

जेटली ने कहा, ‘लिहाजा, आपकी अर्थव्यवस्था ज्यादा अनुशासित होनी चाहिए और इसलिए विभिन्न वर्गों में उठ रही मांगों को समझना चाहिए कि जहां तक अर्थव्यवस्था भार उठा सकती है, वहीं तक सरकारें ऐसी मांगें लागू कर सकती हैं।’ इससे पहले, सशस्त्र सैनिकों के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति को भेजे पत्र में यूनाइटेड फ्रंट आफ एक्स सर्विसमेन ने कहा कि देश के लिए कुर्बानी देने से पहले एक सिपाही से आशा की जाती है कि वह दुश्मनों का सफाया करे लेकिन आपके शासन में एक सिपाही की जान दांव पर लगी है।

संगठन ने कहा कि भूख हडताल कर रहे चार पूर्व सैनिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि एक अन्य पूर्व सैनिक हवलदार (सेवानिवृत्त) मेजर सिंह की तबियत तेजी से बिगड़ रही है। पत्र की प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी भेजी गयी। इसमें कहा गया है कि डाक्टरों के पैनल ने मेजर सिंह की तबियत में गिरावट बतायी है और कहा है कि यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी है। उसका जीवन बचाने के लिए तत्काल उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत है। मेजर सिंह ने अस्पताल जाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने संकल्प किया है कि जब तक ओआरओपी लागू नहीं हो जाता, वह कोई चिकित्सकीय इलाज नहीं लेंगे। उन्हें हालांकि विस्तृत जांच के लिए अस्पताल भेजा गया है।

पत्र में कहा गया कि यदि हवलदार मेजर सिंह या भूख हडताल पर बैठे किसी अन्य पूर्व सैनिक को कुछ हो जाता है तो उसके लिए सिर्फ महामहिम और भारत सरकार जिम्मेदार होगी।

पत्र में मुखर्जी से आग्रह किया गया कि वह सरकार को ओआरओपी के कार्यान्वयन का निर्देश दें। ‘ओआरओपी को संप्रग और मौजूदा राजग सरकारों ने मंजूरी दी है। इसका कार्यान्वयन हालांकि अब तक नहीं हो पाया है और इसकी वजह आपकी सरकार को पता होगी।’ इस बीच एक अन्य पूर्व सैनिक हवलदार अभिलाष सिंह की तबियत बिगडने के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया। वह क्रमिक भूख हडताल पर बैठे थे।

उधर जेटली ने कहा, ‘ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती जहां एक वर्ग की पेंशन हर साल पुनरीक्षित होती रहे।’ उन्होंने कहा, ‘क्या यह दुनिया में और कहीं हो सकता है ? और यदि आप एक वर्ग के लिए ऐसा करेंगे तो अन्य वर्ग भी प्रदर्शन के रूप में इसका प्रभाव दिखाएंगे। और फिर तो हमें राजकोषीय घाटों और राजकोषीय दूरदर्शिता को भूल ही जाना चाहिए। यदि हम सभी वित्तीय मानदंडों एवं राजकोषीय दूरदर्शिता को खारिज करते जाएं तो पिछले सोमवार को जो कुछ हुआ वह संभवत: हर महीने होगा।’

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