दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, सांसद वाले लाभ उठा सकते हैं जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव
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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, सांसद वाले लाभ उठा सकते हैं जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव

शरद यादव ने राज्यसभा सदस्य के रूप में उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के सभापति के चार दिसंबर के फैसले को चुनौती दी थी.

जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग करने वाली जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की याचिका पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने हालांकि यादव को वेतन, भत्ता, अनुलाभ लेने तथा संसद सदस्य के रूप में आवंटित बंगले में ही रहने की अनुमति दे दी. अदालत ने उन्हें शुक्रवार (15 दिसंबर) से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में भाग लेने से रोक दिया. सत्र पांच जनवरी तक चलेगा. न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने कहा, ‘‘(राज्यसभा सभापति के) आदेश पर इस समय रोक नहीं लगाई जा सकती.’’ न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि यादव की मुख्य याचिका के निपटारे तक अंतरिम निर्देश जारी रहेंगे.

अदालत ने यादव की याचिका पर राज्यसभा सभापति और उच्च सदन में जदयू के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह से भी जवाब मांगा. यादव ने राज्यसभा सदस्य के रूप में उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के सभापति के चार दिसंबर के फैसले को चुनौती दी थी. अदालत ने सभापति और सिंह से तीन हफ्तों में जवाबी हलफनामे दायर करने को कहा और मुख्य याचिका को अगले साल एक मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

यादव ने खुद को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को चार दिसंबर को आदेश पारित किए जाने से पहले सुनवाई का मौका न दिए जाने सहित विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है. यादव के अलावा उनके सहयोगी सांसद अली अनवर को भी अयोग्य ठहराया गया था. यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि वह संसद सत्र में शामिल हो सकें. राज्यसभा सभापति की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल संजय जैन ने यादव को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया.

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