मनिका बत्रा ही नहीं, AIR INDIA रोजाना 20 यात्रियों को देती है आखिरी वक्‍त पर 'धोखा'
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मनिका बत्रा ही नहीं, AIR INDIA रोजाना 20 यात्रियों को देती है आखिरी वक्‍त पर 'धोखा'

एयर इंडिया ने जनवरी 2018 से जून 2018  के बीच 3852 मुसाफिरों को हवाई यात्रा पर ले जाने से ऐन वक्‍त पर इंकार किया है. इन सभी यात्रियों के पास नकेवल कंफर्म टिकट था, बल्कि उन्‍होंने DGCA द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन भी किया था.

मनिका की तरह, एयर इंडिया ने जून में सर्वाधिक 1363 मुसाफिरों को ओवर बुकिंग के चलते हवाई यात्रा पर ले जाने से इंकार कर दिया था. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: टेबल टेनिस में देश के लिए गोल्‍ड मेडल जीतने वाली मनिका बत्रा इकलौती ऐसी मुसाफिर नहीं हैं, जिन्‍हें एयर इंडिया ने ऐन वक्‍त पर हवाई यात्रा पर ले जाने से इंकार किया है. आलम यह है कि एयर इंडिया रोजाना औसतन 20 मुसाफिरों को ऐन वक्‍त पर हवाई यात्रा पर ले जाने से इंकार कर देती है. सिविल एविएशन की रेगुलेटरी बॉडी, डायरेक्‍टर जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) के आंकड़ों की मानें तो जनवरी 2018 से जून 2018 के बीच करीब 3582 मुसाफिरों को ऐन वक्‍त पर यात्रा पर ले जाने से इंकार कर दिया गया. इन सभी यात्रियों को यात्रा पर ले जाने से इंकार करने के पीछे का कारण टिकटों की ओवर बुकिंग ही थी.  

  1. लगातार हर महीने बढ़ रहे हैं डिनायड-बोर्डिंग के मामले
  2. एयरपोर्ट पर 6 महीनों में ऐसे ही रोके गए 13998 मुसाफिर
  3. गो, ट्रूजेट, जूम और एयर उड़ीसा में नही मिले ऐसे मामले

डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार, एयर इंडिया ने सर्वाधिक 1363 मुसाफिरों को ओवर बुकिंग के चलते जून माह में हवाई यात्रा पर ले जाने से इंकार कर दिया था. इसके अलावा, एयरलाइंस ने जनवरी में 230, फरवरी में 214, मार्च में 90, अप्रैल में 432 और मई में 1253 मुसाफिरों को इसी तरह हवाई यात्रा पर नहीं ले गई थी. एयर इंडिया की तरह सभी भारतीय एयरलाइंस की बात करें तो इस तरह का हादसा रोजाना औसतन 75 मुसाफिरों के साथ एयरपोर्ट पर होता है. डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार बीते छह महीनों के दौरान करीब 14 हजार मुसाफिरों को एयरलाइंस ने आखिरी वक्‍त पर ले जाने से मना कर दिया था. 

डीजीसीए के आंकड़ो के अनुसार, बीते जून के महीने में इस तरह का हादसा झेलने वाले मुसाफिरों की संख्‍या 2303 थी. आपको बता दें कि एयरपोर्ट पर जिन मुसाफिरों को एयरलाइंस ने बोर्डिंग देने से इंकार किया, उन मुसाफिरों के पास न केवल कंफर्म टिकट थे, बल्कि वे समय पर एयरपोर्ट भी पहुंचे थे. इतना ही नहीं, इन मुसाफिरों ने उस सभी नियमों का पालन किया था, जिन्‍हें डीजीसीए ने हवाई यात्रा के लिए निर्धारित किया हुआ है.

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कुछ को छोड़ सभी Airline का एक सा हाल, Air India सबसे आगे 
डीजीसीए की रिपोर्ट के अनुसार, आखिरी वक्‍त पर मुसाफिरों को यात्रा पर ले जाने से इंकार करने वाली एयरलाइंस में एयर इंडिया सबसे आगे है. बीते जून के महीने में एयर इंडिया ने सर्वाधिक 1363 मुसाफिरों को फ्लाइट में बोर्डिंग की इजाजत नहीं थी. वहीं, जेट एयरवेज ने 751, स्‍पाइस जेट ने 121, इंडिगो ने 6, एयर एशिया ने 60, विस्‍तार और एयर डेक्‍कन ने एक-एक मुसाफिरों को आखिरी वक्‍त पर विमान में बोर्डिंग करने की इजाजत नहीं दी. गो-एयर, ट्रूजेट, जूम एयर और एयर उड़ीसा एयरलाइंस में इस तरह के मामले सामने नहीं आए.

एयरलाइंस ने मुसाफिरों को दिया 126 लाख का हर्जाना
डीजीसीए ने अपने नियमों में स्‍पष्‍ट किया है कि कोई भी एयरलाइंस आखिरी वक्‍त पर किसी मुसाफिर को यात्रा पर ले जाने से इंकार करती है तो उसे पीड़ित मुसाफिरों को नगद हर्जाना देना होगा. इन नियमों के तहत, जून में विभिन्‍न एयरलाइंस ने मुसाफिरों को 126.88 लाख रुपए का हर्जाना दिया है. जिसमें एयर इंडिया ने सर्वाधिक 73.78 लाख रुपए, जेट एयरवेज ने 39.82 लाख रुपए, स्‍पाइस जेट ने 8.08 लाख रुपए, इंडिगो ने 34 इजार रुपए, एयर एशिया ने 4.80 लाख रुपए और विस्‍तारा ने 6 हजार रुपए ने बतौर हर्जाना यात्रियों को भुगतान किया है.

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मार्च से लगातार बढ़ रहे हैं ऐसे मामले
डीजीसीए के अनुसार, बीते छह महीनों के दौरान 13998 मुसाफिरों को बोर्डिंग की इजाजत एयरलाइंस ने नहीं दी. इसके चलते, सर्वाधिक जनवरी में 5706 मुसाफिरों को परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं फरवरी में 1957 को यात्रा की इजाजत नहीं दी गई. मार्च में ऐसे मुसाफिरों की संख्‍या घटकर महज 1005 रह गई. जिसके बाद हर महीने डिनायड बोर्डिंग के मामले बढ़ते गए. जिसमें अप्रैल में 1128, मई में 1899 और जून में 2303 मुसाफिरों को एयरलाइंस ने यात्रा पर ले जाने से इंकार कर दिया. 

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यात्रा पर ले जाने से क्‍यों इंकार करती है एयरलाइंस 
एयरलाइंस से जुडे़ वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि कोई भी एयरलाइंस अपने विमान की एक भी सीट खाली नहीं छोड़ना चाहती है. हर एयरलाइंस के पास अपना एक आंकड़ा है, जिससे पता चलता है कि किस सेक्‍टर पर औसतन कितने मुसाफिर सफर करते हैं. इसी आंकड़े के आधार पर एयरलाइंस उस सेक्‍टर के लिए ओवर बुकिंग कर लेती है. उन्‍होंने उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्‍ली से मुंबई के बीच आवागमन करने वाले एक विमान में 180 सीटें हैं. 

एयरलाइंस को पता है कि करीब दस फीसदी मुसाफिर आखिरी समय तक अपनी टिकट कैंसल करा लेते हैं. लिहाजा, एयरलाइंस इस सेक्‍टर के लिए 200 मुसाफिरों की बुकिंग कर लेगी. कई बार ऐसा होता है कि फ्लाइट का कोई भी मुसाफिर अपनी टिकट कैंसल नहीं कराता है. ऐसे में 180 सीट वाले विमान में यात्रा करने के लिए 200 मुसाफिर पहुंच जाते हैं. लिहाजा, 20 यात्रियों को एयरलाइंस यात्रा पर ले जाने से इंकार कर देती है.

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इन परिस्थितियों में फंसने के बाद क्‍या है विकल्‍प 
ऐसी परिस्थितियों में फंसने के बाद मुसाफिर के पास दो ही विकल्‍प रह जाते हैं. पहला विकल्‍प यह है कि एयरलाइंस द्वारा उपलब्‍ध कराई जा रही दूसरी फ्लाइट में अपनी टिकट रिबुक करा लें. वहीं दूसरा विकल्‍प, अपना टिकट कैंसल कर पूरी राशि एयरलाइंस से हासिल करें. दोनों ही स्थिति में एयरलाइंस मुसाफिर को मुआवजे का भी भुगतान करेंगी. यदि कोई मुसाफिर, वैकल्पिक फ्लाइट का विकल्‍प चुनता है तो एयरलाइंस उसे होटल में रुकने सहित अन्‍य सहूलियतें भी उपलब्‍ध कराएगी. 

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