‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की शिवसेना की मांग सही : रविशंकर
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‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की शिवसेना की मांग सही : रविशंकर

गणतंत्र दिवस विज्ञापन विवाद पर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने आज कहा कि जवाहर लाल नेहरू और बी आर अंबेडकर जैसे नेता मौजूदा कांग्रेसी नेताओं से अधिक बुद्धिमान थे और उन्होंने संविधान की मूल प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को शामिल नहीं किया था।

नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस विज्ञापन विवाद पर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने आज कहा कि जवाहर लाल नेहरू और बी आर अंबेडकर जैसे नेता मौजूदा कांग्रेसी नेताओं से अधिक बुद्धिमान थे और उन्होंने संविधान की मूल प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को शामिल नहीं किया था।

मंत्रिमंडल की प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह शिवसेना सांसद संजय राउत के कथित बयान में कुछ भी गलत नहीं पाते हैं कि इन दो शब्दों को स्थायी तौर पर प्रस्तावना से हटा दिया जाना चाहिए।

प्रसाद ने कहा, ‘ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में कुछ विचारों को रखने पर क्या आपत्ति है। प्रस्तावना जिसका विज्ञापन में इस्तेमाल किया गया वह मूल प्रस्तावना है और संविधान सभा ने इसे तैयार किया था जिसमें जवाहर लाल नेहरू, बी आर अंबेडकर और अन्य नेता थे। तब ये दोनों शब्द नहीं थे।’

प्रसाद ने कहा, ‘‘क्या नेहरू को धर्मनिरपेक्षता की समझ नहीं थी। इन शब्दों को आपातकाल के दौरान जोड़ा गया। अगर अब इसपर चर्चा हो रही है तो इसमें क्या नुकसान है। हमने देश के समक्ष मूल प्रस्तावना को रखा है।’

कांग्रेस नेता और पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कल इस मुद्दे पर सरकार पर हमला किया था और दावा किया था कि सरकारी विज्ञापन में इन दो शब्दों को ‘हटा’ दिया गया जिनके स्थान पर ‘सांप्रदायिक’ और ‘कॉरपोरेट’ शब्द को स्थापित करने के उनके प्रयासों का यह शुभारंभ है। विज्ञापन में संविधान के प्रस्तावना की तस्वीर थी जो 42 वें संविधान संशोधन से पहले थी। इसमें ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द नहीं था।

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