OBC क्रीमीलेयर पर मोदी सरकार का अहम फैसला, उच्चतम सीमा 8 लाख सलाना की गई
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OBC क्रीमीलेयर पर मोदी सरकार का अहम फैसला, उच्चतम सीमा 8 लाख सलाना की गई

 केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए क्रीमी लेयर की उच्चतम सीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपए सालाना कर दी.

ओबीसी आरक्षण के लिए आखिरी समीक्षा 2013 में की गई थी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिये एक आयोग गठित करने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी. इसके साथ ही ओबीसी के लिए ‘क्रीमी लेयर’ की आय सीमा में दो लाख रुपये का इजाफा करके इसे आठ लाख रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया. सरकार ने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर किसी तरह के पुनर्विचार से इनकार किया है.

  1. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को इसकी घोषणा की
  2.  केंद्र ने क्रीमी लेयर को फिर परिभाषित करने की मंशा जाहिर की थी
  3.  जिनकी आय अधिक होती है उन्हें क्रीमी लेयर कहा जाता है

वित्त अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए तय सीमा में बढ़ोतरी करने के फैसले के बारे में बुधवार (23 अगस्त) को केंद्रीय मंत्रिमंडल को औपचारिक रूप से अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में असम में इसका संकेत दिया था कि क्रीमी लेयर को परिभाषित करने वाले मानक को बढ़ाया जाएगा और इस संदर्भ में कैबिनेट को औपचारिक रूप से सूचित करने की प्रक्रिया आज (बुधवार, 23 अगस्त) पूरी हो गई.

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि आठ लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक की आय वाले ओबीसी परिवारों को क्रीमी लेयर माना जाए. एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को फैसले के तहत लाने के प्रस्ताव पर ‘सक्रियता से विचार’ किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ओबीसी के उप वर्गीकरण के मुद्दे पर विचार के लिये एक आयोग गठित के निर्णय को मंजूरी दी गई.

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यह आयोग अपने अध्यक्ष की नियुक्ति की तिथि से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा. इस आयोग को अन्य पिछड़ा वर्गों के उप वर्गीकरण पर विचार करने वाले आयोग के नाम से जाना जायेगा. आयोग की सेवा शर्तों में कहा गया है कि यह ओबीसी की व्यापक श्रेणी समेत जातियों और समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण के बिन्दुओं पर विचार करेगा जो ओबीसी को संघ सूची में शामिल करने के संदर्भ में होगा.

आयोग को ऐसे अन्य पिछड़ा वर्ग के उप वर्गीकरण के लिये वैज्ञानिक तरीके वाला तंत्र, प्रक्रिया, मानदंड और मानक का खाका तैयार करने के साथ ही संघ सूची में दर्ज ओबीसी के समतुल्य संबंधित जातियों, समुदायों, उप जातियों की पहचान करने की पहल करनी है एवं उन्हें संबंधित उप श्रेणियों में वर्गीकृत करना है. बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जेटली ने ओबीसी की तर्ज पर अनुसूचित जातियों में उप श्रेणी बनाने से इंकार कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘न तो सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव है और न आगे ऐसा कोई प्रस्ताव होगा.’ जेटली से पूछा गया था कि क्या सरकार संघ प्रमुख् मोहन भागवत के प्रस्ताव के अनुरूप आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा करेगी. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम भारत सरकार मामले में 16 नवंबर 1992 को अपने आदेश में व्यवस्था दी थी कि पिछड़े वर्गो को पिछड़ा या अति पिछड़ा के रूप में श्रेणीबद्ध करने में कोई संवैधानिक या कानूनी रोक नहीं है, अगर कोई सरकार ऐसा करना चाहती है.

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अब तक 6 लाख रुपए या इससे अधिक सालाना आय वाले ओबीसी परिवार को लाभ पाने वालों की सूची से हटाकर क्रीमी लेयर में रखा गया था. इस आय वर्ग के ओबीसी को किसी तरह का फायदा नहीं दिया जाता है. केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर को फिर से परिभाषित करने की मंशा जाहिर की थी, ताकि इसका फायदा जरूरतमंद और समाज के निचले तबके तक पहुंचाया जा सके. ओबीसी आरक्षण के लिए आखिरी समीक्षा 2013 में की गई थी. 

क्रीमी लेयर में आने वाले पिछड़ा वर्ग के लोग आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाते हैं. सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है, बशर्ते परिवार की वार्षिक आय क्रीमी लेयर के दायरे में न आती हो. अभी तक वार्षिक आय छह लाख रुपये तक तक थी, अब यह 8 लाख रुपये हो गई है. जिनकी आय अधिक होती है उन्हें क्रीमी लेयर कहा जाता है और वे आरक्षण के लिए पात्र नहीं होते.

देश के नौ राज्यों आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पुदुचेरी, कर्नाटक, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग का उप वर्गीकरण किया जा चुका है.

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