जम्मू-कश्मीर फिर बाढ़ की चपेट में; 7 की मौत, राहत एवं बचाव कार्य जारी
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जम्मू-कश्मीर फिर बाढ़ की चपेट में; 7 की मौत, राहत एवं बचाव कार्य जारी

जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ के सात महीने बाद मूसलाधार बारिश के कारण घाटी के विभिन्न इलाकों तथा जम्मू के कई क्षेत्रों में पानी भर गया है। वर्षा और बाढ़ के चलते एक बच्चे सहित सात लोगों की जान जा चुकी है और 13 अन्य लोगों के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं लग पाया है।

जम्मू-कश्मीर फिर बाढ़ की चपेट में; 7 की मौत, राहत एवं बचाव कार्य जारी

श्रीनगर/जम्मू : जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ के सात महीने बाद मूसलाधार बारिश के कारण घाटी के विभिन्न इलाकों तथा जम्मू के कई क्षेत्रों में पानी भर गया है। वर्षा और बाढ़ के चलते एक बच्चे सहित सात लोगों की जान जा चुकी है और 13 अन्य लोगों के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं लग पाया है।

स्थानीय अधिकारियों द्वारा कश्मीर में बाढ़ की घोषणा के साथ ही केन्द्र एवं राज्य सरकार हरकत में आ गयी है। राहत एवं बचाव कार्यों में मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के आठ दलों को घाटी में भेजा गया है। सेना को चार हेलीकाप्टरों के साथ तैयार रहने को कहा गया है ताकि कम नोटिस पर उनकी सेवा ली जा सके।

सभी प्रकार की मदद का वादा करते हुए केन्द्र सरकार ने फौरी राहत के रूप में 200 करोड़ रुपए मंजूर किये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को मौके का जायजा लेने तथा आवश्यक सहायता के सिलसिले में राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए घाटी भेजा है।

केन्द्र की मदद के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू में विधानसभा को बताया कि राज्य सरकार ने 35 करोड़ रूपये...कश्मीर के लिए 25 करोड़ और जम्मू क्षेत्र के लिए 10 करोड़ रूपये आवंटित किये हैं।

पुलिस ने बाद में बताया कि मध्य कश्मीर के बडगाम में चार मकान ढह जाने के कारण छह लोगों की मौत हो चुकी है जबकि मलबे में 10 अन्य के फंसे होने की आशंका है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मारे गये लोगों में चार महिलाएं, एक पुरूष एवं एक बच्चा शामिल है। मृतकों की पहचान की कोशिश चल रही है।

ढहे मकान के मलबे में संभावित रूप से फंसे हुए 10 लोगों की तलाश जारी है।

सईद ने बताया कि उधमपुर में भी एक दुर्भाग्यपूर्ण मौत हुई है तथा जम्मू में भी अचानक से बाढ़ आ गयी।

पिछले 36 घंटे में भारी वर्षा के चलते झेलम नदी अनंतनाग जिले के संगम तथा श्रीनगर के राममुंशी बाग सहित कई इलाकों में खतरे के निशान से उपर बह रही है। बाढ़ का पानी राज्य राजधानी श्रीनगर सहित कश्मीर के विभिन्न निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है। इसके चलते स्थानीय लोगों के बीच घबराहट बढ़ गयी है क्योंकि उन्हें सात माह पहले आयी प्रलंयकारी बाढ़ की यादें फिर सताने लगी हैं।

राज्य में पिछले साल सितंबर में आयी अभूतपूर्व बाढ़ के चलते 280 से अधिक लोगों की जान गयी थी तथा हजारों लोग बेघर हो गये और करोड़ों रूपये की संपत्ति नष्ट हो गयी। लोगों ने इस बार कोई भी जोखिम न उठाते हुए सुरक्षित जगहों की ओर जाना शुरू कर दिया है। स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस ने भी लोगों से झेलम नदी के किनारे को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है।

श्रीनगर में आज सुबह वर्षा रुक गयी जबकि दक्षिणी कश्मीर में यह कम हुई है। बहरहाल, मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में राज्य के कुछ चुनिंदा इलाकों में भारी वष्रा होने की आशंका है। अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हुए लोगों के वास्ते विभिन्न सरकारी भवनों में अस्थायी शिविर स्थापित किये गये हैं। घाटी के बाढ़ संभावित इलाकों में करीब कल 250 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। आज 80 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।

पुलिस ने बताया कि सोपियां जिले में भूमि धंसने के कारण 176 मकानों सहित 200 ढांचों में दरार आ गयी है।

बारिश आज रूक गयी लेकिन मौसम विभाग ने राज्य के कुछ स्थलों पर अगले कुछ दिनों में भारी वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। अधिकारियों ने लोगों से अफरा तफरी नहीं मचाने की अपील की और कहा है कि बाढ़ के खतरे से निबटने के लिए हर संभव कदम उठाये जा रहे हैं। नदी के तटों को मजबूती देने तथा किसी भी स्थिति से निबटने के लिए रेत के चार लाख बोरों को उपलब्ध कराया गया है।

स्कूलों को अगले चार दिनों के लिए बंद कर दिया गया है तथा बोर्ड परीक्षाओं को दो दिन के लिए टाल दिया गया है। लोगों ने इस बार कोई भी जोखिम न उठाते हुए सुरक्षित जगहों की ओर जाना शुरू कर दिया है। स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस ने भी लोगों से झेलम नदी के किनारे को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है। अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हुए लोगों के वास्ते विभिन्न सरकारी भवनों में अस्थायी शिविर स्थापित किये गये हैं।

तीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं। मुख्यमंत्री सईद अपने मंत्रियों के एक दल के साथ घाटी में पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं तथा वे लोगों की जानमाल की हिफाजत के लिए प्रशासन द्वारा उठाये जा रहे कदमों की समीक्षा कर रहे हैं। भारी बारिश के कारण 294 किमी लंबे श्रीनगर.जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर ताजा भूस्खलन हुआ है। यह कश्मीर को देश के शेष हिस्सों से जोड़ने वाली संपर्क सड़क है। यह राजमार्ग लगातार तीन दिन से बंद है।

अधिकारियों ने कश्मीर संभाग के सात जिलों में बर्फीले तूफान की चेतावनी जारी की तथा लोगों से बाहर नहीं निकलने को कहा है। एनडीआरएफ दलों को उनके उपकरणों के साथ प्रभावित स्थलों तक वायु मार्ग के जरिये पहुंचाया गया है।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सईद से बात कर केन्द्र की ओर से भी सहायता दिलाने का वादा किया है।

घाटी के लिए रवाना होने से पहले नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्थिति को लेकर चिंतित है और वह लोगों की मदद करने के लिए तैयार एवं प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र राज्य के लिए जरूरी सभी प्रकार की मदद करने को प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि राज्य एवं केन्द्र, दोनों में हमारी सरकारें सब कुछ करने को प्रतिबद्ध है। हम किसी भी चीज में पीछे नहीं रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जतायी कि अधिकारी लोगों की मदद के लिए उपयुक्त कदम उठायेंगे।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम स्थिति पर राजनीति नहीं करना चाहते। केवल सात माह बीते हैं और लोग एक अन्य त्रासदी का सामना कर रहे हैं।’’ इस बीच सेना और पुलिस ने आज राज्य के पुंछ जिले में अचानक आयी बाढ़ में फंस गये 50 लोगों को बचाया।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिले के चांडिक कालेई ब्रिज इलाके में 50 लोग अचानक आयी बाढ में फंस गये। जिला प्रशासन से सूचना मिलते ही पुलिस एवं सेना मौके पर पहुंची और फंसे हुए लोगों को बचाया गया।

जिले के छम्बेर किनारी गांव में व्यापक भूस्खलन के कारण खतरे में फंसे छह अन्य परिवारों को सुरक्षित स्थलों पर पहुंचाया गया। सेना भी राहत एवं बचाव कार्यों में उतर आयी है। सेना ने राज्य भर में चलाये जा रहे बचाव कार्यों में अपने 20 कालम लगाये हैं तथा हेलीकाप्टरों को तैयार रखने को कहा गया है। रक्षा (उत्तरी कमान) के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल एस डी गोस्वामी ने बताया कि सेना ने कम नोटिस पर तैनाती के लिए 20 बाढ़ राहत कालम को तैयार रखा है।

एक कालम में 75 से 100 सैनिक होते हैं।

उन्होंने कहा कि विभिन्न बाढ़ राहत स्टोरों एवं उपकरणों को तैयार कर लिया गया है तथा 30 बीएयूटीएस : बोट असाल्ट यूनिवर्सल टाइप : को कम नोटिस पर तैनाती के लिए तैयार रखा गया है।

कैबिनेट सचिव अजीत सेठ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में आज राज्य में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की गयी तथा संकट से निबटने के लिए किये गये प्रबंधों तथा किये जाने वाले जरूरी प्रबंधों की समीक्षा की गयी।

सेठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्य के मुख्य सचिव इकबाल खांडेय से स्थिति की जानकारी ली। सेठ ने आश्वासन दिया कि स्थिति से निबटने के लिए केन्द्र हर प्रकार की आवश्यक मदद मुहैया करायेगा तथा नयी दिल्ली, पटना एवं अन्य स्थलों से राज्य के लिए आठ एनडीआरएफ दलों को भेजा जायेगा।

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