पाक को रास नहीं आई भारत की तारीफ, अमेरिका के सामने दर्ज कराई आपत्ति
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पाक को रास नहीं आई भारत की तारीफ, अमेरिका के सामने दर्ज कराई आपत्ति

ट्रम्प ने अपनी नयी नीति में पाकिस्तान को आतंकी समूहों के समर्थन के लिए चेतावनी दी थी और आगाह किया था कि अगर उसने ऐसा करना बंद नहीं किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

ट्रम्प ने भारत से अफगानिस्तान में और बड़ी भूमिका निभाने के लिए कहा था. (फाइल फोटो)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में भारत के लिए ज्यादा बड़ी भूमिका की वकालत करने को लेकर अमेरिका के सामने आपत्ति दर्ज की है. देश की शीर्ष राजनयिक ने बुधवार (20 सितंबर) को यह जानकारी दी. विदेश सचिव तहमीना जांजुआ ने कहा कि प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने मंगलवार (19 सितंबर) को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस से मुलाकात के दौरान ट्रम्प द्वारा उनकी नयी अफगान नीति में भारत के लिए ज्यादा बड़ी भूमिका की वकालत करने को लेकर चिंता जतायी.

अब्बासी और पेंस का मिलना ट्रम्प के 21 अगस्त को अफगानिस्तान एवं दक्षिण एशिया को लेकर अपनी नीति की घोषणा करने के बाद से दोनों देशों के बीच सर्वोच्च स्तर पर हुआ पहला संपर्क था. ट्रम्प ने अपनी नयी नीति में पाकिस्तान को आतंकी समूहों के समर्थन के लिए चेतावनी दी थी और आगाह किया था कि अगर उसने ऐसा करना बंद नहीं किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. पाकिस्तान की परेशानियां बढ़ाते हुए ट्रम्प ने भारत से अफगानिस्तान में और बड़ी भूमिका निभाने के लिए कहा था.

मंगलवार (19 सितंबर) की बैठक में दोनों देशों ने मिलकर काम करते रहने तथा अमेरिकी नीति की घोषणा से प्रभावित हुए संबंधों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. पाकिस्तान के विदेश विभाग द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया, ‘‘न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र के इतर यह बैठक एक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. बयान के अनुसार, ‘‘यह सहमति बनी कि दोनों देश क्षेत्र में शांति, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि के साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक सकारात्मक रुख के साथ मिलकर काम करते रहेंगे.’’ 

इससे पहले पाकिस्तान और अमेरिका ‘संवाद बनाये रखने’ और संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने को लेकर पाकिस्तान को चेतावनी दिये जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव है. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मंगलवार (19 सितंबर) को पाक प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस की मुलाकात के बाद इस आशय का निर्णय किया गया.

पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जांजुआ ने अब्बासी और पेंस की 45 मिनट की बातचीत के बारे में कहा, ‘‘बैठक अच्छी रही.’’ उन्होंने बैठक में हुई प्रगति को ‘रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने वाला’ बताया. जांजुआ ने कहा कि इस बात को लेकर सहमति बनी कि बातचीत को जारी रखने के लिए अमेरिका अक्तूबर में एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान भेजेगा.

अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया को लेकर 21 अगस्त को ट्रंप द्वारा नई नीति की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच हुआ यह सर्वोच्च संपर्क है. नीति की घोषणा करते हुए ट्रंप ने आतंकवादी समूहों को समर्थन जारी रखने को लेकर पाकिस्तान को चेताया था और ऐसा जारी रहने पर पाकिस्तान को परिणाम भुगतने की धमकी दी थी. विदेश कार्यालय ने कहा है, ‘‘इस बात को लेकर सहमति बनी की क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों देश रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ संपर्क जारी रखेंगे.’’ 

 

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