शशिकला के अन्नाद्रमुक महासचिव बनने की पूरी संभावना
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शशिकला के अन्नाद्रमुक महासचिव बनने की पूरी संभावना

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद अब उनकी करीबी सहयोगी रही शशिकला के अन्नाद्रमुक की नई महासचिव बनने की पूरी संभावना दिख रही है। अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं और राज्य सरकार के मंत्रियों ने शशिकला से पार्टी प्रमुख का पद संभालने की अपील करते हुए कहा है कि सिर्फ वह ही पार्टी की अगुवाई कर सकती हैं।

चेन्नई : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद अब उनकी करीबी सहयोगी रही शशिकला के अन्नाद्रमुक की नई महासचिव बनने की पूरी संभावना दिख रही है। अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं और राज्य सरकार के मंत्रियों ने शशिकला से पार्टी प्रमुख का पद संभालने की अपील करते हुए कहा है कि सिर्फ वह ही पार्टी की अगुवाई कर सकती हैं।

अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता ई मधुसूदनन और लोकसभा के डिप्टी-स्पीकर एम थंबीदुरई सहित कुछ अन्य शीर्ष नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शशिकला से अनुरोध किया कि वह पार्टी प्रमुख के तौर पर दिवंगत जयललिता की जगह लें। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं ने पार्टी में ‘चिन्नम्मा’ यानी ‘छोटी मां’ के नाम से पुकारी जाने वाली शशिकला से मुलाकात के वक्त यह अनुरोध किया। इन नेताओं ने जयललिता के पोएस गार्डन स्थित आवास पर शशिकला से मुलाकात की।

थंबीदुरई ने कहा, ‘अम्मा के बाद सिर्फ चिन्नम्मा ही हैं। चिन्नम्मा अम्मा के रास्ते पर चलती हैं।’ गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक महासचिव पद के लिए थंबीदुरई का नाम भी चर्चा में था।

थंबीदुरई ने कहा कि उन्होंने शशिकला को बताया कि पार्टी और लोगों का कल्याण उनके हाथों में है।

उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे कहा कि हम आपके साथ हैं।’ तमिल टीवी चैनल ‘जया प्लस’ से बातचीत में थंबीदुरई ने कहा, ‘मैंने उनसे अपील की कि वह पार्टी महासचिव की जिम्मेदारी संभालने के लिए आगे आएं और हमारा मार्गदर्शन करें।’ उन्होंने कहा, ‘यह लोगों की पार्टी है। पुरात्ची तलाइवी अम्मा लोगों की नब्ज समझ कर काम करती थीं। चिन्नम्मा अम्मा के रास्ते पर चलती हैं। लिहाजा, किसी खालीपन की गुंजाइश न छोड़ते हुए चिन्नम्मा को पार्टी महासचिव का पद तुरंत संभाल लेना चाहिए।’ लोकसभा के डिप्टी-स्पीकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शशिकला अनुरोध स्वीकार कर लेंगी।

उन्होंने कहा कि पार्टी में ‘एकमत’ है कि 60 साल की शशिकला को ही पार्टी की अगुवाई करनी चाहिए।

शशिकला करीब तीन दशकों से जयललिता की करीबी सहयोगी रही हैं और उन्हें पार्टी में हमेशा एक शक्ति केंद्र के तौर पर देखा गया है। 

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