उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में सांडों को वश में करने के खेल जल्लीकट्टू की अनुमति देने के बारे में राज्य विधान सभा द्वारा हाल ही में पारित नये विधेयक पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। न्यायलय ने पशुओं के अधिकार के लिए संघषर्रत संस्थाओं और व्यक्तियों को नये कानून को चुनौती देने के लिये अपनी याचिकाओं में संशोधन की अनुमति दी। साथ ही केन्द्र सरकार को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की अनुमति देने संबंधी सात जनवरी, 2016 की अधिसूचना वापस लेने की इजाजत दी।
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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में सांडों को वश में करने के खेल जल्लीकट्टू की अनुमति देने के बारे में राज्य विधान सभा द्वारा हाल ही में पारित नये विधेयक पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। न्यायलय ने पशुओं के अधिकार के लिए संघषर्रत संस्थाओं और व्यक्तियों को नये कानून को चुनौती देने के लिये अपनी याचिकाओं में संशोधन की अनुमति दी। साथ ही केन्द्र सरकार को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की अनुमति देने संबंधी सात जनवरी, 2016 की अधिसूचना वापस लेने की इजाजत दी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरिमन की पीठ ने केन्द्र सरकार को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति देने संबंधी सात जनवरी, 2016 की अधिसूचना वापस लेने की इजाजत दे दी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत पशुओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत संस्थाओं और दूसरे व्यक्तियों को नए कानून को चुनौती देने के लिये पहले से ही लंबित याचिकाओं में संशोधन की भी अनुमति दे दी है।
न्यायालय ने तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन और राकेश द्विवेदी से कहा कि वे तमिलनाडु सरकार को राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के बारे में अवगत कराएं।