पीएम मोदी ने सिख विरोधी हिंसा का मुद्दा उठाया, सरदार पटेल की प्रशंसा की
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पीएम मोदी ने सिख विरोधी हिंसा का मुद्दा उठाया, सरदार पटेल की प्रशंसा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 वर्ष पहले आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद भड़की सिख विरोधी हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत की एकता के शताब्दियों पुराने तानेबाने पर ‘खंजर’ था। मोदी ने सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में समर्पित किया।

पीएम मोदी ने सिख विरोधी हिंसा का मुद्दा उठाया, सरदार पटेल की प्रशंसा की

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 वर्ष पहले आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद भड़की सिख विरोधी हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत की एकता के शताब्दियों पुराने तानेबाने पर ‘खंजर’ था। मोदी ने सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में समर्पित किया।

‘लौह पुरूष’ के तौर पर लोकप्रिय सरदार पटेल के सम्मान में आयोजित समारोह में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि यह पहल किसी अन्य नेता के योगदान को कमतर करने का प्रयास नहीं है।

देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के 139वें जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रन फार यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई। मोदी ने कहा कि यह दिन इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, पर साथ ही उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों का भी अप्रत्यक्ष उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकता के लिए समर्पित कर दिया और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 वर्ष पहले उनकी जयंती पर ‘हमारे अपने लोग’ मारे गए। मोदी ने कहा कि हमारे अपने लोगों मौत के घाट उतार दिया गया। यह घटना किसी धर्म के लोगों के दिलों पर ही घाव नहीं है बल्कि हजारों वर्ष की देश की धरोहर एवं संस्कृति के हृदय में लगा खंजर है। उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में बाधाओं के बावजूद पटेल राष्ट्रीय एकता की अपनी सोच से कभी विचलित नहीं हुए। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 वर्ष पहले ऐसे नेता की जयंती पर यह घटना हुई जिसने राष्ट्र की एकता को हिला दिया।

देश को एकजुट और साथ रखने में सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र अपने इतिहास का सम्मान नहीं करता है, वह इसका कभी सृजन नहीं कर सकता। इतिहास, विरासत को विचारधारा के संकीर्ण दायरे में विभाजित न न करें। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने हाल ही में निर्णय किया था कि वह महात्मा गांधी और सरदार पटेल की जयंती और पुण्यतिथि में शामिल होगी जबकि अन्य नेताओं के सम्मान में समारोह आयोजित करने का दायित्व उसने न्यासों (ट्रस्ट) और सोसायटियों पर छोड़ा था।

सरकार ने यह भी निर्णय किया था कि अन्य नेताओं के नाम पर कोई स्मारक नहीं बनाया जाएगा। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने उन्हें ऐतिहासिक दांडी यात्रा की योजना बनाने का दायित्व सौंपा था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया।

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