भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर
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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर

भूमि अधिग्रहण कानून पर अध्यादेश को राष्ट्रपति ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी। इससे औद्योगिक गलियारों, ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं, रक्षा एवं आवास के लिये जमीन लेना आसान होगा।

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने लगाई मुहर

नई दिल्ली : भूमि अधिग्रहण कानून पर अध्यादेश को राष्ट्रपति ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी। इससे औद्योगिक गलियारों, ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं, रक्षा एवं आवास के लिये जमीन लेना आसान होगा।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश पर 29 दिसंबर को अपनी सहमति जता दी थी जिसके बाद इसे हस्ताक्षर के लिये इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया। इस बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमनी ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।’

अध्यादेश में जमीन अधिग्रहण कानून में उल्लेखनीय बदलाव किये गये हैं। पांच क्षेत्रों औद्योगिक गलियारों, पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) परियोजनाओं, ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं, सस्ते मकानों तथा रक्षा क्षेत्र के लिये जमीन अधिग्रहण को लेकर सहमति संबंधी उपबंध को हटा दिया गया है।

भूमि अधिग्रहण के इस संशोधित कानून के तहत रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा, जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है उन्हें ऊंचा मुआवजा तथा पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना सहित 13 विधानों को केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में ला दिया गया है।

संशोधित कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर भूमि का अधिग्रहण पांच उद्देश्यों के लिये किया जाता है तो अनिवार्य ‘सहमति’ उपबंध तथा सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआईए) प्रावधान लागू नहीं होगा। पांच उद्देश्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, विघुतीकरण समेत ग्रामीण बुनियादी ढांचा, औद्योगिक गलियारा तथा पीपीपी समेत सामाजिक ढांचागत सुविधा का निर्माण शामिल है जिनमें भूमि का मालिकाना हक सरकार के पास बना रहेगा। हालांकि इन पांचों उद्देश्यों के लिये जमीन अधिग्रहण करने पर मुआवजा और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना पैकेज नये जमीन अधिग्रहण कानून के तहत लागू होगा।

नये कानून के तहत, जिसे पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में पारित किया गया था, ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण पर मुआवजे को चार गुणा जबकि शहरी क्षेत्रों में भूमि का अधिग्रहण किये जाने पर मुआवजे को दोगुना कर दिया गया। अध्यादेश के तहत जारी कानून में इन कार्यों के लिये बहु-फसली सिंचाई वाली भूमि का भी अधिग्रहण किया जा सकता है। पहले के कानून में पीपीपी परियोजनाओं के लिये 70 प्रतिशत भूमि मालिकों की सहमति का प्रावधान रखा गया था।

सरकार ने इससे पहले सोमवार को कहा कि मुआवजे और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना के लिये भूमि अधिग्रहण कानून के तहत 13 विभिन्न कानूनों को लाने का उसका फैसला ‘किसानों के हित’ में लिया गया फैसला है। हालांकि, विपक्षी दलों के साथ साथ राजग के सहयोगी दल पीएमके ने कानून में किये गये संशोधनों की आलोचना की है और इन्हें किसान विरोधी, अनैतिक और विचलित करने वाला बताया है।

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर दूसरे दलों से साथ आने को कहा है और किसान विरोधी संशोधनों का मिलकर विरोध करने को कहा है। तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी पार्टी अध्यादेश के खिलाफ लड़ेगी।

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