संसद में व्यवधान नहीं, चर्चा और वाद विवाद हो : राष्ट्रपति
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संसद में व्यवधान नहीं, चर्चा और वाद विवाद हो : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद को जनता की सर्वोच्च आकांक्षाओं का प्रतीक बताते हुए आज कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरी है, न कि अवरोध पैदा करना। उन्होंने साथ ही सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।

 संसद में व्यवधान नहीं, चर्चा और वाद विवाद हो : राष्ट्रपति

नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद की कार्यवाही में हंगामे के कारण अक्सर होने वाले व्यवधान पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए सांसदों से मंगलवार को कहा कि संसद हमारी जन आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती और ऐसे में अवरोध डालने की बजाय वाद विवाद और चर्चा को अपनाएं। उन्होंने सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘लोकतंत्र में चर्चा का सिद्धांत ‘आ नो भद्रा कृत्वो यंतु विश्वत:’ होना चाहिए, अर्थात चर्चा में सभी वर्गों के लोगों के सुविचार शामिल किये जाने चाहिए। इस माननीय संस्था का सदस्य होना गौरव की बात तो है लेकिन इसके साथ महत्वपूर्ण दायित्व भी जुड़े हुए हैं।’ अपने संबोधन में हालांकि उन्होंने जेएनयू या हैदराबाद विश्वविद्यालय में अशांति अथवा हरियाणा में आरक्षण की मांग पर हिंसक आंदोलन का कोई उल्लेख नहीं किया।

संसद का बजट सत्र शुरू होने पर दोनों सदनों के केंद्रीय कक्ष में होने वाली संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति की ओर से किये जाने वाले अपने पारंपरिक संबोधन में प्रणब ने कहा, ‘मेरी सरकार संसद के सुचारू और रचनात्मक कार्य संचालन के लिए निरंतर प्रयासरत है। लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरत है, न कि अवरोध पैदा करना। मैं सभी सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।’

इस अवसर पर भारत की आर्थिक स्थिति की तस्वीर रखते हुए प्रणब ने कहा, ‘भारत अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारत ‘स्थायित्व की स्वर्ग स्थली’ है। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर तेज हुई है जिससे बड़ भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा और चालू खाते का घाटा कम हुआ है और 2015 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर रहा है।

पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार पाकिस्तान के साथ आपसी सम्मानजनक संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत संकल्प है।’ पठानकोठ वायु सेना स्टेशन पर हुए आतंकवादियों के हमले को सफलतापूर्वक निष्फल करने के लिए सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार देश की सुरक्षा से संबंधित सभी चुनौतियों से सख्ती से निपटने के लिए कृत संकल्प है। आतंकवाद विश्वव्यापी खतरा है और इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर आतंकवाद निरोधी कठोर उपाए किये जाने की आवश्यकता है।’

राष्ट्रपति ने कहा ‘वसुधव कुटुम्बकम का अर्थ पूरा विश्व एक परिवार है और मेरी सरकार इस सिद्धांत के प्रति वचनबद्ध है। अपने पड़ोसी देशों के साथ सम्पर्क बढ़ाने के लिए उठाये गए हमारे कदमों में इस सिद्धांत की स्पष्ट झलक दिखाई देती है।’ प्रणब ने कहा, ‘मेरी सरकार पड़ोसी देशों के सुरक्षित और समृद्ध भविष्य में विश्वास रखती है। भारत, अफगानिस्तान को स्थायी, समावेशी और लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने में अफगानिस्तान की जनता का सहयोग करने के प्रति वचनबद्ध है।’

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