प्रधानमंत्री मोदी के पास नहीं है कोई ई-मेल आईडी!
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प्रधानमंत्री मोदी के पास नहीं है कोई ई-मेल आईडी!

भारत के लोगों को डिजिटल इंडिया का सपना दिखाने वाले और सोशल साइट्स पर सबसे सक्रिय राजनेताओं में शुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास अपनी ई-मेल आईडी नहीं है । छत्तीसगढ़ के एक कारोबारी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए यह चौंकाने वाली जानकारी हासिल की है। छत्तीसगढ़ की सीएसआर कंपनी के फाउंडर रुसेन कुमार ने आरटीआई ऐक्ट के तहत पीएमओ में पत्र लिखकर उनका प्रयोग में आने वाला ई-मेल अड्रेस मांगा था।

प्रधानमंत्री मोदी के पास नहीं है कोई ई-मेल आईडी!

नई दिल्ली: भारत के लोगों को डिजिटल इंडिया का सपना दिखाने वाले और सोशल साइट्स पर सबसे सक्रिय राजनेताओं में शुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास अपनी ई-मेल आईडी नहीं है । छत्तीसगढ़ के एक कारोबारी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए यह चौंकाने वाली जानकारी हासिल की है। छत्तीसगढ़ की सीएसआर कंपनी के फाउंडर रुसेन कुमार ने आरटीआई ऐक्ट के तहत पीएमओ में पत्र लिखकर उनका प्रयोग में आने वाला ई-मेल अड्रेस मांगा था।

इसके जवाब में पीएमओ की ओर से 17 फरवरी को एक पत्र (क्रमांक 10335/2014) भेजा गया, जिसमें बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कोई निजी मेल आईडी नहीं है। पत्र में यह भी लिखा गया कि किसी भी विषय में जानकारी, फीडबैक, सुझाव या शिकायत के लिए वह प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट http://pmindia.gov.in/en/interact-with-pm/ के जरिए संपर्क किया जा सकता है।

पीएमओ का जवाब मिलने के बाद रुसेन ने रायगढ़ में कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के पास एक अदद ई-मेल आईडी नहीं है। मोदी सरकार भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की ओर अग्रसर है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने में सबसे बड़ा योगदान सोशल मीडिया का रहा है, ऐसे में इंफर्मेशन टेक्नॉलजी और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने वाली सरकार के प्रधानमंत्री के पास ई-मेल आईडी का न होना कई सवाल उठाता है।

रुसेन ने दावा किया कि पत्र में दिए यूआरएल के जरिए पीएम तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। प्रधानमंत्री से जुड़ने के लिए यूजर को वहां एक नया अकाउंट बनाना पड़ता है। साथ ही इस वेबसाइट को एकतरफा कम्युनिकेशन के लिए तैयार किया गया है। रिक्वेस्ट/ फीडबैक/सुझाव भेजने के बाद वह प्रधानमंत्री तक पहुंचा कि नहीं इसकी जानकारी निकालने का कोई तरीका नहीं है। रुसेन का कहना है कि प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आम आदमी को ऐसा कोई मंच नहीं दिया गया है जो आसान, सस्ता और त्वरित हो।

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